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अमीरों की मुट्ठी में कैद है कानून और न्याय व्यवस्था

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने अपने नौकरी के अंतिम दिन 6 मई को सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल द्वारा आयोजित वर्चुअल वेलफेयर पार्टी में कहा कि देश का कानून और न्याय तंत्र चंद अमीरों और ताकतवर लोगों की मुट्ठी में कैद है उन्होंने कहा यदि कोई व्यक्ति जो अमीर और शक्तिशाली है वह सलाखों के पीछे हैं वह मुकदमे की पेंडेंसी के दौरान बार-बार उच्चतर न्यायालयों में अपील करेगा जब तक कि किसी दिन किसी दिन वह यह आदेश हासिल नहीं कर लेता कि उसके मामले का ट्रायल तेजी से किया जाना चाहिए उन्होंने कहा वर्तमान समय और दौर में न्यायधीश इससे अनजान होकर आइवरी टावर में नहीं रह सकते कि उनके आसपास की दुनिया में क्या हो रहा है उन्होंने इसके बारे में जरूर पता होना चाहिए जस्टिस गुप्ता ने कहा ऐसा गरीब प्रतिभागियों की कीमत पर होता है जिनके मुकदमे में और देरी हो जाती है क्योंकि धन के अभाव में उच्चतर न्यायालयों का दरवाजा नहीं खटखटाया सकते हैं जस्टिस गुप्ता यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा अगर कोई अमीर शख्स जमानत पर है और वह मुकदमे को लटकाना चाहता है तभी वह ट्रायल या पूरी सुनवाई प्रक्रिया तब तक बार-बार लटका आएगा जब तक कि विपक्षी पार्टी परेशान ना हो जाए जस्टिस गुप्ता ने जोर देकर कहा कि ऐसी स्थिति में बेंच और बाहर की यह जिम्मेदारी बनती है की वह समाज के वंचित और गरीबों को न्याय दिलाने में मदद करें वह इस बात पर नजर रखें कि कहीं गरीबी की वजह से मुकदमे पेंडिंग बॉक्स में पड़े ना रह जाए उन्होंने कहा यदि वास्तविक न्याय किया जाना है तो न्याय के तराजू को वंचितों के पक्ष में तोलना होगा

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