यदि हमें अपने लक्ष्य को पाना है विकास के पथ पर आना है, अपने समाज को आगे बढ़ाना है, सबका जीवन सुखमय बनाना है, तो निषाद पार्टी को मजबूत बनाना है

प्रिय क्रान्तिकारी साथियों !
सादर जय निषाद राज ,
विगत लगभग 10 वर्षों से निषाद मछुआ समाज का SC में आरक्षण सभी पूर्व व वर्तमान सरकारों के लिए एक वरदान बना हुआ है । लेकिन निषाद मछुआ समाज के लिए अबतक एक अबूझ पहेली बनी है जिसका हल आजतक किसी सरकार ने नहीं किया है । जबकि उत्तर प्रदेश राज्य में बसपा , सपा और भाजपा सरकार क्रमशः सत्ता में पांच – पांच वर्ष के लिए आई है ।
बहुप्रतीक्षित निषाद मछुआ समाज का आरक्षण इन पार्टियों के हित में एक अवसर बना हुआ है । जो भी निषाद समाज को लुभाया उसी की झोली में निषाद मछुआ समाज का वोट भर गया और वही पार्टी भारी वोटों से जीतकर सत्तासीन हो गई । सत्ता में आने के बाद इन पार्टियों ने निषाद मछुआ समाज के साथ बहुत क्रूर भद्दा मजाक करके समाज को अपमानित किया है ।
विगत एक सरकार ( सपा ) ने अपने कार्यकाल का लगभग पूरा समय व्यतीत करके अपने शासन के अन्तिम चरण में निषाद मछुआ समाज की 17 जातियों ( कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी, मछुआ ) को अनुसूचित जाति के रूप में परिभाषित करने और लाभ देने के लिए शासनादेश महामहिम राज्यपाल के अनुमोदन से जारी करा दिया ।
दूसरे ( बसपा , जो नेपथ्य में चली गई है ) ने अपने एक अनुस॓गिक संस्था अम्बेडकर ग्रन्थालय के द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में निषाद मछुआ समाज के आरक्षण के खिलाफ आईपीएल दाखिल कराके स्टे ले लिया ।
तीसरे ( भाजपा ) ने 2017 के उतर प्रदेश चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ जी बयान देते थे कि निषाद मछुआ समाज आरक्षण का हकदार है उसे आरक्षण मिलना चाहिए , अगर हमारी सरकार होती तो हम आरक्षण जरूर दे देते ।
2019 के आम चुनाव में मोदी जी ने निषाद मछुआ समाज के तारीफ करते नहीं थकते थे और निषाद मछुआ समाज की भलाई की बात करते थे । निषाद पार्टी ने भी आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा के साथ मिलकर चुनाव में भाजपा का साथ दिया और पूरा निषाद मछुआ समाज भाजपा व मोदी के पक्ष में वोट दिया । लेकिन नतीजा , भाजपा ने आरक्षण दिया तो नहीं बल्कि योगी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से केस ही खींच लिया । योगी जी दलितों को खुश करने के लिए निषाद मछुआ समाज की उपेक्षा कर दी । निषाद मछुआ समाज के अनुसूचित जाति में आरक्षण के मामले को ही शान्त कर दिया ।
चौथे ( कांग्रेस ) ने भी कम धोखा नहीं किया है । निषाद मछुआ समाज के साथ सबसे बड़ा धोखा पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था । हमारे क्रान्तिकारी पूर्वजों को जेल में रख कर आजाद भारत का प्रथम आमचुनाव कराया था इसलिए हमारे निषाद समाज के क्रान्तिकारी वीर नेता चुनाव में हिस्सा नहीं ले सके जिससे पार्लियामेंट की इमारत हमारे निषाद मछुआ समाज के नेताओ से अछूती रह गई और ब्राह्मण नेहरू जी ने अपने सवर्ण समाज के नेता सांसदों से पार्लियामेंट को भरकर खूब मनमानी की । हमारा विमुक्त जाति में , अनुसूचित जन जाति में और क्रान्तिकारी के रूप में स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी में सुरक्षित आरक्षण होना चाहिए था । इन तीनों तरह के आरक्षित हक को मिलाकर हमको 58% का आरक्षण मिलना चाहिए था । लेकिन नेहरू ने फर्जी कटेगरी पिछड़ा वर्ग बनाकर हमारे हक अधिकार को बेईमानी से छीन लिया क्योंकि प्रथम संसद सभा में अम्बेडकर साहब के अलावा और कोई निषाद नेता नहीं थे । जगजीवन राम नेहरू के पालतू थे । बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की भी हत्या एक ब्राह्मण कन्या से उनकी पत्नि बनाकर करवा दिया गया । यही छल कपट आज भी चल रहा है ।
2009 के आम चुनाव के दौरान कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने अपने चुनावी भाषण में और व्यक्तिगत तौर पर भी कहा था कि हमारी कांग्रेस की सरकार यदि सत्ता में आई तो कांग्रेस सरकार निषाद मछुआ समाज को आरक्षण देगी । कांग्रेस के माननीय मनमोहन सिंह जी की सरकार 10 वर्षों ( 2004 से 2014 ) तक केन्द्र की सत्ता में रही । परन्तु श्रीमती सोनिया गांधी जी को निषादों मछुआरों की कभी याद तक नहीं आई । जिसका नतीजा हुआ सत्ता कांग्रेस के हाथ से खिसक गई । सोनिया जी की वादा खिलाफी सरकार को ले डूबी ।
और यदि इन पार्टियों को निषाद मछुआ समाज की याद आती भी है तो बड़े जोर शोर से आती है, वो तब आती है जब कोई चुनाव आता है ।
तो प्रिय वीर क्रान्तिकारी साथियों ! ये सभी पार्टियां हमारी भलाई नहीं चाहती हैं । इन सबको केवल हमारे वोट से मतलब है । ये पार्टियां हमारे समाज के कुछ युवाओ को किसी न किसी मोर्चा ( युवा, किसान, महिला, पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक आदि आदि ) का जिला में या विधान सभा में अध्यक्ष, महासचिव, उपाध्यक्ष, सचिव आदि बनाकर पार्टी की जय जयकार करवाती हैं और अपना वोट बैंक बढ़वाती हैं । लेकिन सरकार में आने पर फायदा अपने लोंगो को देती हैं , जिस समाज की पार्टी होती है । ये सभी पार्टियां हम लोंगों को अपने अपने वादों के स्वादिष्ट लॉलीपॉप दिखाकर स्वाद की लालच देती हैं लेकिन वादा की लॉलीपॉप कभी खिलाती नहीं हैं ।
इसलिए अपने लिए अपना सपना संजोइए और अपने लोंगो के साथ मिलकर संघर्ष करिये तभी अपना और अपने समाज का उद्धार कर सकते हैं और कल्याण होगा ।
आइए ! हम सब मिलकर अपनी समग्र ऊर्जा से अपने दल “”””””” निषाद पार्टी “””””” को शक्तिशाली बनाकर पूरे दमखम के साथ राजनीतिक संघर्ष करें और अपने हक – अधिकार , मान- सम्मान और स्वाभिमान के साथ-साथ सत्ता सुख प्राप्त करने के लिए अग्रसर रहें ।
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$$$ अमेरिकन $$$
जय निषाद राज !
निषाद पार्टी जिन्दाबाद !
महामना डाक्टर संजय कुमार निषाद जिन्दाबाद !