समाज को राजनीतिक श्रेष्ठता देना है तो “जय निषाद राज”वाला बनो-महेंद्र निषाद

समाज को राजनीतिक श्रेष्ठता देना है तो “जय निषाद राज”वाला बनो सपा बसपा भाजपा से साथी बन कर सहभागिता लेना गलत नीति नही है परंतु भाजपा बसपा सपा में जाकर आप अपने आपको नेतृत्व कर्ता समझते हो तो आप स्वयम के समाज पर उपकार नही करते हैं बल्कि आप स्वयम समाज के मान स्वाभिमान को भाजपा सपा बसपा के मुकाबले समाज को संगठित होने की कमजोर कड़ी बनते हैं। हा यदि आपमे ऐसा गुण है जैसा प्रवीण निषाद जी सांसद में है आप भाजपा में रहते हुए भी 100% कार्य निषाद पार्टी के बिचार धारा के अनुरूप करते हुए पूरे प्रदेश में निषाद पार्टी को मजबूत करने में तन मन धन से अग्रणी रहते हैं।
एक सांसद दूसरी पार्टी में रहते हुए अपने मातृ संगठन अपने समाज की पार्टी “निषाद पार्टी” को खड़ा करने में सहयोग कर पूरे देश मे निषाद पार्टी के माध्यम से निषाद वंशीय मछुआ नाविक समाज को यादव मुस्लिम ठाकुर पंडित दलित समाज से भी सामाजिक राजनीतिक वर्ग में बहुआयामी चर्चित वर्ग बना सकता है बस उसे यह स्मरण रहे कि वह जिस समाज से है उस समाज का ऋण उसे चुकता करने हैं।
बसपा भाजपा सपा के साथ जाकर अपने सिम्बल अपने नारे के लिए अपनी खुद के समाज के पहचान लिए हिस्सादारी लेने की आदत विकशित करनी पड़ेगी।
राजनीति में कोई भी अछूत नही है,पर स्वयम के समाज को स्वलबन का सिम्बल बनाना है तो अपना नारा,अपना विचार धारा अपने झंडा अपना पंडाल बना कर हिस्सेदारी लेना सर्वमान्य होगा!
यदि आपके पास प्रवीण निषाद जी के भाँति निषाद पार्टी जैसा मातृ संगठन नही है तो जितनी संख्या में नेतृत्व करने वाले लोग सपा बसपा भाजपा में सामिल होंगे उतना ही आपके स्वयम के समाज का आधार कमजोर होगा।ऐसे में सामिल होकर समाज को नुकसान पहुचाने से बेहतर है,किसी मातृ संगठन का साथी बन कर स्वयम के समाज के हेतु हिस्सेदारी माँगने की नीति और नियति निर्धारण कीजए!
तभी राजनीतिक रूप से समाज एक समृद्ध वर्ग के रूप में पहचान बना पायेगा!