डॉ संजय निषाद जी के अनुसार गरीबी बिमारी है पावर में रहने वाले पार्टी एक अस्पताल है। संवैधानिक आरक्षण उसकी दवा है

सम्मानित साथियों,
महात्मा गांधी जी के शब्दों में मानव के षड्यंत्र का परिणाम है गरीबी।
डा. अम्बेडकर जी के शब्दों में संविधान गलत इस्तेमाल और दुरुपयोग का परिणाम गरीबी है
पं. जवाहर लाल नेहरु जी के शब्दों में गरीबी वो खेती है, जिस पर राजनेताओं की फसल उगती है इसलिए वो लोग उस खेती को लहलहाते हैं और गरीबी बढ़ाते है।
संविधान समस्याओं का समाधान है,उसमें इस देश का शोषित, वंचित समाज विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर है, जिनके पास दो जून की रोटी, कपडा, मकान नहीं है, जिनकी कोई पहचान नहीं है, शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार से कोसो दूर है।
इंग्लैंड के प्राइम मिनिस्टर चर्चिल ने लिखा है कि लोकतंत्र में ऐसे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए संविधान है। उसमें एक आरक्षण की व्यवस्था दी गई है आरक्षण से जो संविधान के हिस्सेदार हैं उनके माध्यम से जो संविधान के शिकार हैं उनको उनके बराबर खड़ा करने का आरक्षण एक अवसर प्रदान करता है।
लोकतंत्र में न्याय के चार न्यायालय हैं राज्यसभा, लोकसभा, विधान परिषद और विधानसभा है। चारों न्यायालय से अभी तक इस देश को आजाद कराने वाले गरीबों के उजड़े परिवारों जिनको अंग्रेजों और मुगलों ने कानून बनाकर उजाड़ा था, उनके साथ अब तक अन्याय होता रहा है क्योंकि अभी तक अनट्रेंड भाड़े के राजनैतिक नेता जाते रहे है। पहली बार उनको न्याय दिलाने के लिये निषाद पार्टी ने चारों अदालतों में एक एक वकील भेजा है। राज्यसभा में एक वकील, लोकसभा में मा. इं. प्रवीण निषाद, विधानसभा में मा. विजय मिश्रा और विधान परिषद में डॉ संजय कुमार निषाद जी स्वयं MLC के रुप में।
डॉ निषाद जी के अनुसार गरीबी बिमारी है पावर में रहने वाले पार्टी एक अस्पताल है। संवैधानिक आरक्षण उसकी दवा है लेकिन आरक्षण को लागू करने के लिये दवाई देने के लिये एक प्रक्रिया है जो डॉक्टर उचित समय पर उचित कलम से उसे देता है अब इनके लिये अब तक जो डॉक्टर रहे इनके रोग को बढ़ाते रहे जो दवाई इनको देना था वो दिया नहीं आरक्षण दिया नहीं। जिससे परहेज करना था उसको खिलाते व स्वीकार कराते रहे। जिससे इनके रोग बढ़ता रहे। परहेज क्या करना था। 1992 से पहले लेदरमैन जिसे हम चमार भाई कहते हैं उनके जो सरनेम थे उत्तरहा, दखिनहा, मोची, अहिरवार, गौतम जब कोई उनसे पूछता तो वो लोग अपने सरनेम को ही जाति बताते थे जब तक वो अपने सरनेम को ही जाति बताते थे तब तक उनकी मां के कोख से हरवाह पैदा होता था उनके पॉलिटिकल गॉडफादर ऑफ लेदरमैन पैदा हुए उन्होंने कहा कि जो परहेज करना है वो तुम ले रहे हो जिसे लेना है उससे परहेज़ कर रहे हों तुम्हारा हिस्सा संविधान में चमार से लिखा हुआ है
यदि अपनी जाति चमार बोलोगे तो तुम्हारा बेटा हाकिम पैदा होगा जब वो चमार बोलने लगे उन्होंने कह दिया कि ये परहेज है ये नहीं बोलेंगे ये हमारा सरनेम है चमार संविधान में लिखा हुआ है हमें प्रमाण पत्र चाहिये गर्व से कहने लगे ‘चमार’ आज हाकिम पैदा हो रहे हैं
उसी तरीके से महामना माननीय डॉ संजय कुमार निषाद जी का कहना है उसी संविधान में लिखा है मझवार नाम से मझवार बोलने वाले का बेटा हाकिम पैदा होगा लेकिन धोखेबाजों ने हमारे सरनेम को जाति बना दी और उसको छुपा दिया कि मझवार, तुरैहा मत बोलो। कश्यप, कहार, धीवर, रैकवार, बाथम, चाई, केवट, मल्लाह बोलो और हम तुम्हें इस जाति का प्रमाण पत्र दे देंगे ।
पॉलिटिकल गॉडफादर ऑफ फिशरमैन डॉ संजय कुमार निषाद जी का कहना है जब तक आप सरनेम को जिससे तुम्हें परहेज करना है वो तुम खाओगे तो गरीबी बढ़ेगी, तुम्हारे बच्चे मजबूर मच्छीमार पैदा होंगे, मजदूर पैदा होंगे, संविधान में लिखा है कि यदि मझवार, तुरैहा बोलेंगे उसका प्रमाण पत्र लोगे, द ग्रेट मझवार बोलोगे चूंकि निषाद मझवार का पर्यायवाची है तो जब द ग्रेट निषाद बोलोगे तो मझवार का प्रमाण पत्र मिलेगा । मझवार का प्रमाण पत्र लेंगे तो हाकिम पैदा होंगे और यदि सरनेम बोलेंगे तो हमेशा मजदूर और मजबूर पैदा होंगे
विश्व मछुआ दिवस इसीलिये मनाया जाता है कि जल पर शासन करने वाले,जल के माध्यम से इस दुनिया को चलाने वाले लोग,जल पर काम करने वाले लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके
चार बार जो विश्व मछुआ दिवस मनाया गया है इससे पूरे विश्व के अंदर मछुआरों का मान सम्मान बढ़ा है
पांचवां विश्व मछुआ दिवस ऐतिहासिक होगा अभी तक तो सिर्फ सम्मान बढ़ा नाम बढ़ा है अब उन्हें आरक्षण रुपी सौगात भी मिलेगा। उस सौगात के रूप में 21 नवंबर 2021 को लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर रैली मैदान में “सरकार बनाओ अधिकार पाओ” विशाल महारैली में आप सादर आमंत्रित हैं उसमें माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष पॉलिटिकल गॉडफादर ऑफ फिशरमैन डॉ संजय कुमार निषाद जी वर्तमान में उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया गया है प्रदेश के लोग उन्हें सम्मानित करेंगे। एक अदालत जो रिक्त थी उसमें समाज का वकील डाक्टर वहां पहुंच गया। केंद्र और प्रदेश के शिर्ष नेतृत्व से वकालत के बाद आपको सौगात देने के लिये मुख्य अतिथि गृह मंत्री मा. अमित शाह जी इस वंचित समुदाय को राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक आरक्षण रूपी सौगात देंगे आप सभी सौगात लेने भीड़ सहित अवश्य आयें ।
यह शक्ति प्रदर्शन है यह जनशक्ति इस देश को आजाद कराने वाले अंग्रेजों से उजड़े परिवार मछुआ समुदाय के मान, सम्मान, स्वाभिमान की लड़ाई है संघर्ष के साथी बनें और आने वाले पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिये 21 नवंबर को लखनऊ अवश्य आयें।
कांशीराम की महा रैली में जो जो लोग आये थे उन्हीं को वैभव रूपी सौगात मिली थी ।
अपने सभी साथियों से हम उम्मीद रखते हैं आपके सम्मान और अधिकारों की लड़ाई है आप स्वयं आयें किसी के भरोसे न रहें स्वयं पर भरोसा करें।
अपनी लड़ाई लड़े और अपना हिस्सा लें।
विधानसभा चुनाव के पहले सामाजिक न्याय मिलने की उम्मीद शयाद सभी को है, ये मुश्किल वक्त है.हमारे सामाजिक न्याय के अटके हुए कम निश्चित समयावधि में हो जाने पर प्रचंड समर्थन सुनिश्चित है. शेष काल के गर्भ में है.