निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद अपनी बात आम जनता तक पहुंचाने के लिए हर माध्यम का उपयोग करने से नहीं चूकते हैं ।

निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद अपनी बात आम जनता तक पहुंचाने के लिए हर माध्यम का उपयोग करने से नहीं चूकते हैं । अपनी बातों को जन मानस तक पहुंचाने के लिए प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया का सहारा लेते हुए उन्होंने सुल्तानपुर में एक प्रेस कान्फ्रेंस आहूत की, जिसके माध्यम से उन्होंने निषाद समुदाय समेत उनसे संबंधित सभी 17 जातियों के लोगों के सामने दूसरी पार्टियों का पर्दाफाश करते हुए कहा कि सिर्फ निषाद पार्टी ही उनके लिए लड़ सकती है और उनके भविष्य के लिए चिंतित है, बाकी लोग सिर्फ वोट लेने के लिए सपने दिखाते हैं ।
सपा, बसपा, कांग्रेस के विश्वासघात को न भूले मछुआ समुदाय की सफलता की राह मे यही दल रोड़ा खड़ा कर रहे हैं ।
आप भली भांति अवगत है कि सपा ने कांग्रेस से मिलकर 24/3/2014 को सत्रह जातियों का प्रस्ताव केन्द्र से निरस्त करा दिया था, इसी तरह बसपा ने 11/4/2008 को केन्द्र से सत्रह जातियों का प्रस्ताव वापस मंगा लिया था, मतलब साफ है कि सपा बसपा कांग्रेस की तिकड़ी सत्रह जातियों के लिये सबसे घातक साबित हो रही है। सपा सत्रह जातियों को न्याय दिलाने का केवल दिखावा कर रही थी। तो बसपा सीधे सीधे हमारे विरोध मे है और कांग्रेस आरम्भ से ही हमारा अधिकार हड़प रही है इसलिये सत्रह जातियों के लिये सपा, बसपा, कांग्रेस को सबक सिखाना सबसे पहली प्राथमिकता है और इस प्राथमिकता को पूरा करना निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी का सबसे बडा संकल्प है अनुसूचित जाति का अधिकार पाने के लिये निषाद पार्टी हर संघर्ष को तैयार है।
मझवार व सत्रह जातियों का वास्तविक प्रकरण क्या है?
मझवार 1950 से ही अनुसूचित जाति के रूप मे उ प्र वैलूम मे 51 वे क्रमाक पर अधिसूचित है, इसके आईडेटीफिकेशन की आवश्यकता है पर मुलायम और अखिलेश ने नया इनक्लूजन बनाकर अनावश्यक विवाद पैदा कर दिया जबकि केवल मंझवार अनुसूचित जाति व शिल्पकार जाति, बेलदार जाति, गोड जाति, तुरैहा जाति का संविधान आदेश 1950 की प्रस्तावना के अनुसार इसकी ” sub caste ,all the parts, all the races ” का आईडेटीफिकेशन किया जाना था परन्तु वोट बैंक के चक्कर मे 2005 मे मुलायम सिंह यादव व 2013 मे अखिलेश यादव ने इसे नये शिरे से इनक्लूजन बनाकर प्रचारित कर दिया, इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि मलाईदार एस.सी. लांबी जो पीढी दर पीढ़ी एस.सी. आरक्षण को हडप रही है तथा मंझवार, शिल्पकार,
बेलदार गोंड तुरैहा आदि अनुसूचित जाति का हक सत्तर साल से अधिकार हड़प रही है, ने पहले कोर्ट से फिर कांग्रेस से मिलकर इसे निरस्त करा दिया तथा बार बार कोर्ट मे इनक्लूजन का केश बनाकर इसे स्टे करा रही है।
जबकि निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी की टीम ने मा उच्च न्यायालय इलाहाबाद से यह साबित करते हुए कि मझवार जाति पहले से अनुसूचित जाति मे शामिल है स्टे वैकेट करा दिया था परन्तु बामसेफ का गोरख प्रसाद ने 16/9/2019 को एक नई रिट दाखिल कर तथा न्यायालय को भ्रमित कर इसे नया इनक्लूजन बनाकर स्टे करा दिया। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सजय कुमार निषाद हाइकोर्ट इलाहाबाद के वकील मिले है फाईल तैयार हो गई हैं। इस स्टे को हम स्टे वैकैशन दाखिल करके शीघ्र वैकेट करायेगे यह हमारा मछुआरों, मझवार व सत्रह जातियों से वादा है निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी इसे पाने के लिये सभी विकल्पों पर काम कर रहा है
अनुसूचित जातियों का इतिहास- आजादी मिलने से पहले ही महामानव रामचरण मल्लाह लेजिस्लेटर एव बाबासाहब दलितो और पिछडो के विशेषाधिकारो की जोरदार वकालत कर रहे थे ,इसलिए जब ब्रिटिस पार्लियामेंट मे इनकी मांगो पर चर्चा हुई तो साइमन कमीशन भारत भेजा गया ,भारत मे मा रामचरण मल्लाह एव बाबा साहब ने कमजोर वर्गो की तरफ से साइमन कमीशन के समक्ष मजबूती से पक्ष रखा, इस कमीशन की संस्तुति पर जे एच हट्टन तत्कालीन जनगणना आयुक्त ने बैकवर्ड / एक्सटीरियर कास्ट को चिन्हित कर 1935 मे गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट के माध्यम से इन जातियो को विशेषाधिकार दिलाने का काम किया गया हम भी 1931 के सर्वे मे उ प्र मे एक्सटीरियर कास्ट के रूप मे चिन्हित किये गये थे तथा 1950 मे हमे शिल्पकार की उपजाति के रूप मे अनुसूचित जाति का अधिकार दिया गया था यह आज भी हमे मिला हुआ है यह मामला नये शिरे से अनुसूचित जाति मे शामिल होने का नही है पर इसको विरोधियो द्वारा इसी रूप मे प्रस्तुत किया जा रहा है।
यही संविधान आदेश 10 अगस्त 1950 को संविधान आदेश अनुसूचित जाति 1950 के रूप मे पारित किया गया है इसमे हम शामिल है जिसमे अनुसूचित जाति के नाम से कमजोर जातियो को सामान्य वर्ग की बराबरी पर लाने के लिए विशेष प्रावधान किये गये है, इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के अंतर्गत शामिल किया गया है, हमारे समाज के लोगो को यह नही। बताया गया कि यह प्रावधान विकास के विशेष अवसर प्रदान करता है बल्कि गुमराह किया गया है कि इससे हमारा स्तर छोटा हो जाएगा और इस तरह भ्रमित करके पूरे मछुआरा समाज सहित अति पिछडे वर्गो की बहुत बडी आबादी को उनके अधिकारो से वंचित रखकर आरक्षण की उनकी हिससेदारी को हड़प लिया गया, अभी भी यह हिस्सेदारी लूटी जाय इसलिए पूरे अनुसूचित जाति के आरक्षण की एकतरफा मलाई लूटनेवाले अनुसूचित जाति के मलाईदार लोग बसपा व वामसेफ के माध्यम से हमारे समाज को गुमराह करके हमे अनुसूचित जाति के अधिकार से वंचित रखने का कुचक्र रच रहे है, इस कुचक्र मे हमारे ही समाज के कुछ अवांछनीय तत्व मोहरे के रूप मे इस्तेमाल हो रहे है।
