समाचार

मैं निषाद पार्टी का कट्टर समर्थक और आदरणीय संजय कुमार निषाद जी का अनन्य भक्त हूँ

जय निषाद राज !
मैं निषाद पार्टी का कट्टर समर्थक और आदरणीय संजय कुमार निषाद जी का अनन्य भक्त हूँ । निषाद पार्टी के संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डाक्टर संजय कुमार निषाद जी ने एक सामाजिक संगठन राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद की स्थापना करके इस उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जनपद के गांव – गांव में जाकर अपने भाषणों और स्वलिखित ऐतिहासिक पुस्तकों के प्रकाशन के माध्यम से अपने पूर्वजों के गौरवपूर्ण इतिहास की जानकारी देकर अपने मान सम्मान, स्वाभिमान और हक-अधिकार को प्राप्त करने के लिए राजनैतिक, सामाजिक , शैक्षिक और आर्थिक क्षेत्र में सतत संघर्ष के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किये हैं । हमारे निषाद मछुआ समाज के दिल – दिमाग में सत्ता में भागीदारी के लक्ष्य की भावना को जगाकर एक मजबूत राजनीतिक दल निषाद पार्टी की स्थापना कर दिए हैं । निषादों के भीतर अपने मान सम्मान और स्वाभिमान की गरिमा को जगाकर अपने हक अधिकार लेने के लिए जन जन में एक नव शक्ति का संचार कर दिये हैं ।
जिसका परिणाम राजनीति के पटल पर परिलक्षित हो रहा । आज निषाद पार्टी एक ताकतवर दल रूप में चुनावी संघर्ष के लिए मैदान उतर गई है । निषाद पार्टी का विस्तार भारतवर्ष के लगभग सभी राज्यों सहित पड़ोसी देश नेपाल में भी हो चला है ।
जब कोई ताकतवर बनने लगता है या ताकतवर बन जाता है तब उसके दोस्त और दुश्मन भी बहुत पैदा होते है । जिनमें कुछ अपने और कुछ पराये होते हैं । ऐसे ही हमारी निषाद पार्टी के साथ भी हुआ है । इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए यह सब स्वभाविक है ।
*** खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे ***
कुछ ऐसे भी विरोधी हैं जिनकी ताकत बहुत ही नगण्य है । लेकिन समाज के अन्दर ये मामा माहिर की तरह काम कर रहे । अब आप पूछेंगे कि मामा माहिर कौन था ? आपको बता दे की मामा माहिर महाराजा पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल के समय एक बहुत छोटा कमजोर राजा था ! जिसका निवास मध्यप्रदेश के सतना जिला के आसपास बताया गया है । मामा माहिर किसी राजा पर आक्रमण करने लायक तो था नहीं लेकिन दो शक्तिशाली राजाओं के बीच चुगली करके दुश्मनी पैदा करके उनके बीच लड़ाई कराने में माहिर था । वह आल्हा- ऊदल का रिश्ते में मामा था । इसीलिए उसको आल्हा काव्य में मामा माहिर कहा गया है । यहां तक कि मामा माहिर ने अपने भांजे आल्हा , ऊदल को भी मरवाने के लिए महाराज पृथ्वीराज चौहान से आल्हा , उदल की चुगली कर दी थी । तब चौहान ने धोखे से उदल को दिल्ली बुलाया और पकड़कर कैदखाने में डाल दिया था । फिर पृथ्वीराज और आल्हा के बीच युद्ध हुआ और पृथ्वीराज हार गए , ऊदल को वापस लाए।
ठीक ऐसे ही हमारे निषाद मछुआ समाज में मामा माहिर घुम रहे है उनके साथ जन शक्ति नगण्य है इसके बाद भी उछलकूद मचाए हुए हैं । इसके पहले कुछ महानुभावों के अलावा उनको कोई जानता भी नहीं था । और आज वे ऐसे ऐसे बयान पोस्ट करते है जिससे आभास हो जाता है कि समाज के सभी शीर्ष नेतृत्व के बीच कटुता पैदा कर आपस में टकराव पैदा करना चाहते हैं और ये सब कुकृत्य मछुआ समाज के उत्थान करने की आड़ लेकर करते है । ऐसे नेताओं के ऐसे धिनौने मंसूबे बहुत ही निकृष्ट हैं ।
मेरा मानना है कि अपने समाज के जो भी नेतागण हैं अपने संगठन के माध्यम से अपने अपने जगह पर, अपने अपने क्षेत्र में , अपने अपने जिला में और अपने अपने-अपने प्रदेश में जन जागृति करके समाज के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं जो बहुत ही उत्साहवर्धक और सराहनीय है । जहां तक राजनितिक पार्टी की बात है तो सभी दल के नेतागण आपसी सामंजस्य बनाकर आगे बढ़े जैसा की बिहार और उत्तर प्रदेश के दोनों शक्तिशाली शीर्ष नेतृत्व के बीच आपसी सौहार्द और सामंजस्य कायम है । समाज का उत्थान आपसी दुराव से नहीं बल्कि आपसी सौहार्द से होगा । सवर्णो के बीच आपस में किस तरह का सौहार्द है आप सब देख रहे है । सभी सवर्ण एक स्वर में बोलते हैं चाहे गलत हो या सही ।
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
मोदी जी !
** तुम दिन को रात कहो , तो हम रात कहेंगे । **
** तुम रात को दिन कहो , तो हम दिन कहेंगे ।।**
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
जब अपने पार्टी नेतृत्व के प्रति हमारी ऐसी भावना होगी तब हम समाज को अगली पंक्ति में स्थापित कर देंगे ।
मेरे प्रिय संघर्षशील निषाद भाईयों मै अन्त में रहीम के इस दोहे की याद दिलाता हूँ याद कीजिये और भविष्य के लिए आप खुद सोचिए , समझिए और अपने उन्नति का मार्ग प्रशस्त करिए ।
* एकै साधे सब सधे, सब साधे ………..
जय निषाद राज !
$$$ अमेरिकन $$$

महामना आदरणीय डाक्टर संजय कुमार निषाद जिन्दाबाद !
निषाद पार्टी जिन्दाबाद !
मूलनिवसी निषाद मछुआ समाज जिन्दाबाद !

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close