भारतवर्ष की प्राचीनतम संस्कृति निषाद संस्कृति है-:ई प्रवीण कुमार निषाद

भारतवर्ष की प्राचीनतम संस्कृति निषाद संस्कृति है।प्राचीनकाल में निषादों की अपनी अलग सत्ता एवं संस्कृति हुआ करती थीं। निषाद समुदाय भाषा, क्षेत्र तथा स्वतंत्रता आंदोलन के करण विभिन्न नामों से जाने जाते है। आदिकवि महर्षि वाल्मीकि, विश्वगुरु वेद व्यास, भक्त प्रह्लाद, और रामसखा महाराजा गुह्यराज निषाद, वीर योद्धा निषादराजा हिरण्यधनु के पुत्र द्वारिका धीश वीर एकलव्य, माता सत्यवती, महाराजा नल निषाद, गोरखपुर के रामग्राम के राजा सिंघानु निषाद, महारानी दमयंती, महारानी रासमनी, राय साहब रमचरन निषाद, पूर्व सांसद वीरांगना फूलन निषाद, माननीय स्व. जमुना निषाद, स्व.महेंद्र सिंह राजपूत, स्व.रघुवरदयाल वर्मा, स्व.मनोहर लाल निषाद जैसे आत्माओं ने इस निषाद वंश को शुशोभित किया है।
लेकिन आज निषाद समुदाय के लोगों में वैचारिक विभिन्नता के कारणसमुदाय का विकास अवरुद्ध हो गया है। विभिन्न उपजाति, कुरी, गोत्र के आधार पर समुदाय का विखंडन हो गया है। फलतः समुदाय के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक एवं राजनैतिक मान मर्यादा में ह्रास हो रहा है। इस वैचारिक भिन्नता को ख़त्म करने का प्रयास किया जा रहा है। हम अपने समुदाय के सभी सम्मानित सदस्यों को भाषा, क्षेत्र, उपजाति, क़ुरी और गोत्र जैसे भेदभाव मिटाकर आपसी एकता को मजबूत करने का अनुरोध करते है।