शेरनी की नस्ले कभी सियार पैदा नहीं करतीं! निषादराज की मां कभी गद्दार पैदा नहीं करती!!

शेरनी की नस्ले कभी सियार पैदा नहीं करतीं!
निषादराज की मां कभी गद्दार पैदा नहीं करती!!
भेड़ियों की ताकत से, चीते कभी डरा नहीं करते!
और निषाद राज के दीवाने आपस में कभी लड़ा नहीं करते!!
और दूध जलता है पानी जल जाने के बाद!
फसल उगता है बीज सड़ जाने के बाद!!
मगर हमारे निषादों को समझ में आ रहा है पिछवाड़े पर लात खाने के बाद! यानी कि सब कुछ बिगड़ जाने के बाद!!
हिजड़ों को समझ में आ गया, मगर निषादों को समझ में नहीं रही है बात!
निषाद सोता हुआ शेर है, जगने की देर है!
और निषाद अब नादान नहीं, जलती हुई मशाल है किसी का पायदान नहीं! और जिस धर्म में हो करोड़ों देवता उस धर्म में तुम्हारा कोई भगवान नहीं!
तुम ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र नहीं !
हम हैं राजवंशी पंचम वर्ण निषाद!
जब निषाद राज के पास था राज! तब जीडीपी ३३% और शिक्षा 75% तब करते रहे हम सभी क्षेत्रों में विकास!!
आप हो भगवानों के भगवान के महाराज गुह्य राज निषाद के औलाद!
तुम्हारा निषादराज वंशज रहा है फौलाद!!
और चाकू चलाने के लिए कलेजा चाहिए जो बाजार में नहीं बिकता हो!
निषादराज वंशज वही होता है जो दुश्मन से भिड़ना जानता हो, जानता हो!
शिक्षित वही होता है जो अपने असली दुश्मन को पहचानता हो!!
और आजाद भारत में गुलाम महाराजा गुह्य राज निषाद वंशवासी, बोल जै निषादराज वासी!
दुश्मन बनें है सभी क्षेत्रों में आधिकार वासी, उन सभी को निषाद पार्टी बनाएगी चपरासी!
अगर चाहते है सभी समस्याओं का हल!
इसका एक ही है विकल्प!
सभी निषाद राज वंशजों को लेना होगा 13 जनवरी को मकर संक्रांति में चलकर संकल्प!!
आएं चलें संकल्प लेने सभी साथियों सहित स्वर्ग भूमि महाराज गुह्य राज के किले प्रयागराज!
श्रृंग्वेरपुर धाम से निषाद पार्टी की सेना होगी तैयार!
मन में ठाना है एक ही विचार!
अब भविष्य में होगी आप निषाद राज वंशजों के हाथों में सरकार!!

