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जब जब भी मौक़ा मिलेगा केवल आरक्षण की आवाज उठाता रहूँगा – सांसद प्रवीन निषाद

कल संसद का माहौल गर्म रहा । संविधान की किताब में लिखा एक अधिकार ‘ आरक्षण’ जिसकी लड़ाई कई सालों से निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा संजय निषाद जी के नेतृत्व में सड़क से लेकर सदन तक लड़ रहे है । आधुनिक युग के राजनैतिक गुरू कहे जाने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष डा संजय निषाद जी ने कम समय में एक अलग राजनिति को जन्म देकर मछुआ समुदाय के एक ऐसे वर्ग को उस मुक़ाम पर पहुँचा दिया है जिसका अंदाज़ा किसी भी अन्य दल को नही था । अगर समय के आकलन को देखा जाये तो बसपा सपा भाजपा कांग्रेस को राजनिति हलचल मचाने व अपनी पैठ बनाने में लगभग 35 साल का समयकाल लग गया ।राजनीति, रणनीत का बहुत बड़ा हिस्सा है नेतृत्व की कार्यशैली समाज को आगे ले जाता है वो मछुआ समुदाय को डा संजय निषाद जी के रूप में देखा जा रहा है निषाद पार्टी के बढ़ते जनाधार व पिछले आधुनिक युग के राजनैतिक पहल की चुनावी हलचल व लोकसभा में आरक्षण की आवाज दोनों हथियार के रूप में मछुआ समुदाय के लेबल बढ़ा रहे है वही लोक सभा में एक अद्भुत सांसद मा प्रवीण निषाद जो निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा संजय निषाद जी के बेटे है उनकी आवाज जब जब सदन में गूंजा है तब तब विपक्ष पार्टियों की घबराहट शुरू हो जाती है। 13 मार्च को एक बार फिर मझवार आरक्षण पर गरजे मछुआ समुदाय के लोक प्रिय सांसद मा ई प्रवीण निषाद जी ।

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