मझवार सहित अतिपिछड़ी जातियों का वास्तविक प्रकरण क्या है?

भारत सरकार के कानून मंत्रालय के पत्र संख्या एफ28/49-सी प्रमुख सचिव वाईके भंडारकर ने 19 दिसबंर 1949 को सभी राज्य सरकारों को एक शासनादेश जारी कर कहा कि 1931, 1941 में जो जातियां जैसी थी वैसी ही संविधान में मान ली गई। यह सिद्ध है की मछुआ समुदाय 1931 से अनुसूचित जाति में सूचीबद्ध है मझवार 1950 से ही अनुसूचित जाति के रूप में उ प्र वॉल्यूम में 51वें क्रमांक पर अधिसूचित है, इसके आईड़ेटीफिकेशन की आवश्यकता है, पर मुलायम, अखिलेश, मायावती और कांग्रेस ने नया इनक्लूजन (समावेश या शामिल) बनाकर अनावश्यक विवाद पैदा कर दिया था जबकि केवल मझवार अनुसूचित जाति व शिल्पकार, बेलदार, गोड़, तुरैहा इत्यादि जातियों का संविधान आदेश 1950 की प्रस्तावना के अनुसार इसकी ऑल द सब कास्ट, ऑल द पार्टस, ऑल द रेसेज (अर्थात सभी जातियों को, उसके सभी वर्गों को और उसके सभी वंशजों को) आईडेटीफिकेशन किया जाना था परन्तु वोट बैंक के चक्कर में 2005 में मुलायम सिंह यादव व 2013 में अखिलेश यादव ने इसे नये सिरे से इनक्लूजन बनाकर प्रचारित कर दिया, इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि मलाईदार एस.सी. लॉबी बसपा के लोग जो पीढ़ी दर पीढ़ी एस.सी. आरक्षण को हडप रहे हैं तथा मंझवार, शिल्पकार, बेलदार गोड तुरैहा आदि अनुसूचित जाति का हक सत्तर साल से हड़प रहे है, बसपा-सपा ने पहले कोर्ट से, फिर कांग्रेस से मिलकर इसे निरस्त करा दिया था तथा बार-बार कोर्ट में इनक्लूजन का केस बनाकर इसे स्टे करवाते रहे हैं।
जबकि निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी की टीम ने मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद से यह साबित करते हुए कि मझवार जाति पहले से अनुसूचित जाति में शामिल है स्टे वैकेंट करा दिया था और जिलाधिकारी को प्रमाणमत्र जारी करने का शासनादेश भी जारी करवा दिया था परन्तु बामसेफ के बसपाई गोरख प्रसाद ने 16\9\2019 को एक नई रिट दाखिल कर तथा न्यायालय को भ्रमित कर इसे नया इनक्लूजन बनाकर स्टे करवा दिया। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सजय कुमार निषाद ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के वकीलों से मिलकर इस स्टे को स्टे वैकैशन दाखिल कर वैकेट कराने का फाईल तैयार कराया गया।
हमारा मछुआरों, मझवार व सत्रह जातियों से वादा है निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) इसे पाने के लिये सभी राजनैतिक दलों के सहयोग लेकर सभी विकल्पों पर काम कर रही है। अनुसूचित जातियों का इतिहास आजादी मिलने से पहले ही माननीय राय साहब रामचरन निषाद एंव डॉ अंबेडकर दलितों और पिछड़ों के विशेषाधिकारों की जोरदार वकालत कर रहे थे, इसलिए जब ब्रिटिश पार्लियामेंट में इनकी मांगों पर चर्चा हुई तो साइमन कमीशन भारत भेजा गया। भारत में माननीय राय साहब रामचरन निषाद एवं ड़ॉ अंबेडकर ने कमजोर वर्गों की तरफ से साइमन कमीशन के समक्ष लिखित ज्ञापन के माध्यम से मजबूती से पक्ष रखा। इस कमीशन की संस्तुति पर जे. एच. हट्टन तत्कालीन जनगणना आयुक्त ने बैकवर्ड/एक्सटीरियर कास्ट को चिन्हित कर 1935 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट के माध्यम से इन जातियों को विशेषाधिकार दिलाने का काम किया गया। मछुआ समुदाय भी 1931 के सर्वे में उ.प्र. में एक्सटीरियर कास्ट के रूप में चिन्हित किये गये थे तथा 1950 में शिल्पकार और मझवार, गोड़, तुरैहा, खरवार, बेलदार, खरोट, कोली के रूप में अनुसूचित जाति का अधिकार दिया गया था। आज भी हमें यह मिला हुआ है यह मामला नये सिरे से अनुसूचित जाति में शामिल होने का नहीं है पर इसको विरोधियों द्वारा इसी रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
यही संविधान आदेश 10 अगस्त 1950 को संविधान आदेश अनुसूचित जाति 1950 के रूप में पारित किया गया है इसमें हम शामिल हैं। जिसमें अनुसूचित जाति के नाम से कमजोर जातियों को सामान्य वर्ग की बराबरी पर लाने के लिए विशेष प्रावधान किये गये है, इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के अंतर्गत शामिल किया गया है, हमारे समाज के लोगों को यह नहीं बताया गया है कि यह प्रावधान विकास के विशेष अवसर प्रदान करता है बल्कि गुमराह किया गया है कि इससे हमारा स्तर छोटा हो जाएगा और इस तरह भ्रमित करके पूरे मछुआरा समुदाय सहित अति पिछड़े वर्गों की बहुत बड़ी आबादी को उनके अधिकारों से वंचित रखकर आरक्षण की उनकी हिस्सेदारी को हड़प लिया गया। अभी भी यह हिस्सेदारी लूटी जा रही है इसलिए पूरे अनुसूचित जाति के आरक्षण की एकतरफा मलाई लूटने वाले अनुसूचित जाति के मलाईदार लोग सपा-बसप-कांग्रेस व बामसेफ के माध्यम से हमारे समाज को गुमराह करके हमें अनुसूचित जाति के अधिकार से वंचित रखने का कुचक्र रच रहे हैं। इस कुचक्र में हमारे ही समाज के कुछ अवांछनीय तत्व मोहरे के रूप में इस्तेमाल हो रहे हैं।
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन ना जाईं के तर्ज पर माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ उर्फ अजय विष्ट जी जो क्षत्रिय कुल के है उन्हें रघुकुल के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को गंगापार उतारने वाले नत्थालाल केवट के वंशजों को दिया गया मछुआ अनुसूचित जाति रुपी वचन को पूरा करना ही होगा।
संवैधानिक मछुआ एस.सी. आरक्षण मझवार, गौड, तुरैहा अदि अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी कराने के मुद्दे पर भाजपा सरकार को निषाद पार्टी याद दिलाना चाहती है कि जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और वर्तमान मुख्यमंत्री मा. योगी जी विपक्ष में थे। तब गोरखपुर के सांसद की हैसियत से मछुआ समुदाय के एस.सी. आरक्षण के लिए रैलीयों और सदन में भी कहा था कि मछुआ समुदाय का एस.सी. आरक्षण के प्रमाण पत्र जारी करने की मांग उचित है, इन्हें अवश्य मिलना चाहिए और ये इसके संवैधानिक रुप से हकदार भी हैं। और मा. योगी जी ने तत्कालीन सरकार को दोषी ठहराया था। परंतु आज केन्द्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है वह भी मा. योगी जी के नेतृत्व में है। फिर भी मा. योगी जी मछुआरों का एस. सी आरक्षण का प्रमाण पत्र क्यों नहीं जारी करवा रहे हैं? मछुआ एस. सी. आरक्षण के प्रमाण पत्र जारी करने हेतु परिभाषित करने की जो सही प्रक्रिया है प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तरह-तरह के शासनादेश जारी करके मछुआ समुदाय को मूर्ख बनाने का प्रयास किया जा रहा हैं। यदि माननीय योगी जी आपको आरक्षण देना ही है तो पहले से संविधान में दिए हुए मझवार, गोड़, तुरैहा, खरवार, बेलदार, खरोट, कोली को परिभाषित करके उसके पर्यायवाची नामों को संस्तुति करके केंद्र सरकार को क्यों नहीं भेजवाते है। केंद्र में भी भाजपा की सरकार है और इसे अविलंब केंद्र सरकार से उसी तरह पास करवाइए जिस तरह से सवर्ण गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण 48 घंटे में दे दिया गया है। अब मछुआ समुदाय ज्यादा बेवकूफ नहीं बन पाएगा मछुआ समुदाय सत्ता परिवर्तन की ताकत रखता है और तरीका भी जानता है।
निषाद पार्टी की कोर समिति ने 2019 में निर्यण लिया था की भाजपा अगर हमारे संवैधानिक मछुआ एस.सी. आरक्षण मझवार, गौड, तुरैहा आदि अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी कराने पर विचार करे तो निषाद पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में उनका साथ देगी और भाजपा के निर्णय से ही सहयोगी दल के रूप में गठबंधन हुआ और यह तय हुआ की वंचित समुदाय मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए एक आरक्षण का अहम मुद्दा हाईकोर्ट का आर्डर था उसे लागू किया जायेगा।
किसी भी राष्ट्र मौसम आज का भाग्य का फैसला लोक लोकसभा और विधानसभा में होता है और लोकसभा में जबतक समुदाय के मुद्दे की वकालत नहीं होगी तब-तक कोई सुनवाई नहीं होगी। इंजिनियर प्रवीण निषाद जीतकर सदन में गए और आरक्षण की आवाज उठाई परंतु अभी तक भाजपा सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं दिखाई दिया। मछुआ समुदाय के भाग्य की रेखा को लिखने के लिए निषाद पार्टी सड़क से सदन तक वकालत कर रही है और करती रहेगी। दूसरा निषाद पार्टी के संघर्षों के परिणाम स्वरूप मत्स्य मंत्रालय अलग हो गया लेकिन अभी तक जमीनी स्तर पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। जिसकी सरकारें रहीं है सभी ने अपने लोगों को अधिकारी-कर्मचारी बनाया है। अधिकारी ऊपर से तो कमल वाले है अन्दर से हाथी-लाठी वाले है, तो जब कभी हमारा कोई कार्यकर्ता जाता है तो हाथी-लाठी के समय वाले जितने दरोगा-पुलिस और अधिकारी हैं वे मछुआरों के प्रति अन्दर से जलन रखते हैं और कहते हैं कि निषाद पार्टी कि वजह से साइकिल और हाथी हार गयी तो उन्हें पता चला पांच डंडे के जगह दस डंडे मार देते है। हमें और आपको जानना पड़ेगा की हमारी सरकार नहीं है मछुआरों के हित के लिए हम सरकार के सहयोगी है। भारतीय जनता पार्टी ने मछुआ समुदाय को 37 पार्टियों में से निषाद पार्टी को एक विशेष स्थान दिया और निषाद पार्टी को जन-जन तक प्रचार के माध्यम से टोपी-झंडे से और मछुआ समुदाय तो अपने मुद्दों को रखने और हल करने के विकल्पों का एक मंच दिया कि आप अपने मुद्दे को मंच से उठाएं और पुनः भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाएं। और अपने सहयोगी सांसदों द्वारा सदन में आरक्षण की आवाज उठवाएं और मुद्दा हल कराएं। मा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मंच से बोलने से हमारा मुद्दा बड़ा होकर समाधान हेतु सदन के पटल पर अंतिम फैसले हेतु पहुंच गया है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मौजूदा गृहमंत्री माननीय अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी से अपनी वकालत करने का अवसर प्राप्त हो गया है। निषाद पार्टी आज वकालत करेगी कल जजमेंट भी मिल जायेगा। अगर हम गठबंधन से बाहर रहते तो कैसे हम कैसे आवाज उठाते और मछुआरों के हितों की कैसे वकालत कर पाते। कैसे अपने पक्ष में जजमेंट करवा लेने के लायक बन पाते। तत्काल में अगर जजमेंट नहीं हो पा रहा है तो उसपर विचार किया जा रहा है।
पार्टी जिसका स्पष्ट ध्येय, नीति, सिद्धान्त एवं विशेष प्रकार की कार्यप्रणाली है। उद्देश्यपूर्ति हेतु अनुशासित कार्यकर्ताओं की खोज एवं पार्टी कार्यकारणी गठन हेतु पहले पूरे देश एवं प्रदेश में राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के माध्यम से ऐतिहासिक, सामाजिक, वैचारिक, राजनैतिक और वोटर कैडर से निर्बलों, शोषितों एवं वंचितो को जानकार, समझदार, ज्ञानवान एवं होशियार बनाकर अनुशासित कार्यकर्ताओ की फौज तैयार किया है।
पार्टी जिसमें कई प्रदेशो तथा उत्तर प्रदेश के लगभग ज्यादातर जिलो के सैकड़ो लोग मिलकर 2015 में निर्बल ईण्डियन शोषित हमारा आम दल कार्यकारिणी गठन कर निर्वाचन आयोग से 16 अगस्त 2016 पंजीकृत कराकर 2017 में विधान सभा चुनाव लड़ाकर राजनैतिक चेतना विहिन समाज में चेतना लाकर एक सीट जितकर, 50 सीटो पर बेहतर प्रदर्शन कर 70 वर्षों का जंगल राज खत्म कर दिया।
पार्टी जिसके वजूद से पूर्व लोग अनेको प्रकार की भ्रांतियां फैलाते थे कि डाॅ. संजय निषाद जी पार्टी नहीं बनायेंगे, पंजीकृत नहीं करायेंगे, जब पार्टी पंजीकृत हो गयी तब कहने लगे चुनाव चिन्ह नहीं मिलेगा, किसी पार्टी को समर्थन कर देंगे पार्टी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष पर आदि आदि आरोप लगाने एवं समाज को गुमराह करने वाले ये भ्रष्ट राजनैतिक सौदागरों की दुकान बंद कराकर वंचित समाज को राजनैतिक हथियार देकर मजबूत किया है।
पार्टी बिना गुमराह हुए अनुशासित लोग परिवार सहित प्रशिक्षित हैं। माया, मुलायम, के जंगलराज खत्म करने एवं अपना खोया हुआ गौरवशाली इतिहास वापस पाने के लिए रात दिन मेहनत कर रहे है। ऐसे सभी कार्यकर्ताओ को समाज हमेशा याद करेगा।
पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमे बहुत लोग अपने परिवार सहित पार्टी के पदाधिकारी बनकर जिला स्तर पर अपने सक्षम पदाधिकारी से सम्पर्क कर प्रशिणोपरान्त क्षमतानुसार जिम्मेदारी लेकर कैडर के सभी गुणों को विकसित कर ईमानदारी से अनुशासन में रहकर लक्ष्य प्राप्ति हेतु दिन रात काम कर रहे है।
पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमे लक्ष्य प्राप्ति हेतु दुश्मन पार्टीयों को परास्त करने तथा समयानुसार राजनीतिक सहभगिता के लिए पार्टी को शक्तिशाली बनाने हेतु सटीक साझेदार भी बनती रही है।
पार्टी के कार्यकर्ता अपने सीमित साधन-संसाधनो से प्रतिदिन पार्टी के उद्देश्य, विचारधारा, निति, कार्यप्रणाली एवं सिद्धान्त का प्रचार-प्रसार कर कार्यक्रम, कार्यकर्ता एवं कोष का निर्माण कर आगे लक्ष्य तरफ बढ़ रहे है।
पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमें सुचिता एवं पंजीकरण नियमितिकरण हेतु पदाधिकारी द्वारा लिये गये रसीदों का लेखा-जोखा आय-व्यय एवं अन्य विवरण समय-समय आयोजित मिंटीगों, अधिवेशनो, शिक्षण-प्रशिक्षण कैडर कैम्पों तथा कार्यालयो में जमाकर अनुशासन का परिचय देते है। जो अब निर्वाचन आयोग द्वारा अधिकृत लेखा परिक्षक से परिक्षण कराकर जमा कराना आसान है।
पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसके पास वंचित समाज के भविष्य निर्माण सुनियोज योजनाएं है।
पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी जिसका उद्देश्य सिर्फ समाज को ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक श्रोतों की जानकारी देकर उनका अधिकार दिलाने हेतु उन्हीं के समाज से समय, पैसा, बुद्धि, हुनर को पार्टी के विकास मे लगाना है। जिससे राजनीतिक स्वालम्बन हेतु प्रशिक्षिति लोग प्रतिनिधी बने।
पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसने हजारों शिक्षित-प्रशिक्षित वक्ता तैयार कर राजनीतिक भविष्य के लिए चेतना भर रही है।
पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमें उपेक्षित समाज के सभी उपजातियों को सवैधानिक लोकतांत्रिक तरिके से चयनित कर राजनीतिक जिम्मेदारी के लिए प्रेरित कर रही है। जिस जातिध्समाज को गुलाम बनाना हो उसके इतिहास को नष्ट कर दो और जिस देश को गुलाम बनाना हो तो उसकी संस्कृति को नष्ट कर दो।
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय कुमार निषाद के नेतृत्व एवं योजनबद्ध प्रयास से हम सबको पता चला कि भारत की प्राचीनतम् नाम श्निषाद’ है देश की प्राचीन संस्कृति श्निषाद संस्कृतिश् हैं। प्राचीनकाल ( 2000वर्ष पहले में निषाद, कोल, भील यानि आपके वंशज का सत्ताध्राज था। उस समय दुनिया में 3/- में 1/- रूपया आपके भारत का चलता था। दुनिया में सहायता करते थे। तब भारत को सोने की चिडि़या कही जाती थी। श्निषाद’ जाति नहीं है बल्कि चारों वर्ण से अलग ’पंचम् वर्ण’ है। महर्षि बाल्मीकि, महर्षि वेद व्यास, प्रहलाद, रामसखा महाराज श्री गुह्यराज निषाद, निषादराज हिरण्यधनु के पुत्र अभिद्युम्न (अभय या एकलव्य, माता सत्यवती, नल निषाद, महाराजा सिंघानु निषाद, महारानी दमयन्ति, महारानी रासमणी, राय साहब रामचरण निषाद, मा. जमुना निषाद, राम देव निषाद मा. फूलन निषाद आदि ने इस वशं को सुशोभित किया है।(साभार- वैदिक एवं ब्राहमणी धर्म डा. श्री कान्त पाठक, जस्टीस आफ इण्डिया डा. अर्मत्य सेन, प्रचीन भारत का इतिहास डा. के सी श्रीवास्तवा