
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर
हमें ऐसे क्या काम करना चाहिए? जिससे किसी से दुश्मनी ना हो इसलिए पहले राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद फिर बाद में निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) का निर्माण हुआ है। कार्यकर्ताओं को अपने जेहन में यह बात रखकर काम करने की जरूरत है। अगर संगठनात्मक शक्ति को समझे बगैर क्षेत्र में काम करेंगे तो हम हताश हो जायेंगे, परेशान हो जायेंगे। फिर हम ही कहने लगते है कि यह काम हमसे होने वाला नहीं है। कभी गया (बिहार) की धरती पर तथागत गौतम बुद्ध ने वर्णव्यवस्था के विरोध में संघर्ष करने के लिए संगठन का निर्माण किया। बुद्ध ने धर्म नहीं बनाया बल्कि संगठन बनाया था। उस संगठन के तहत तथागत गौतम बुद्ध अपने भिक्षुओं को एकत्रित करते थे और उन्हें ज्ञान देते थे। यह सारी बातें विनय पीटक और सुत्तपीटक में मौजूद है। संगठनात्मक शक्ति के आधार पर भिक्षु लोग गांव-गांव विचरण करते थे और आर्य सवर्णवादी के विरुद्ध मूलवासियों को जागृत करते थे। मूल वासियों की जागृति जागृति की वजह से देश में ज्ञान विज्ञान का विकास हुआ। इतनी बड़ी सच्चाई हमारा इतिहास उजागर करता है।
संगठन में वरिष्ठ पदाधिकारी बनने का मंत्र
संगठन क्या होता है? इसकी समझ जिस व्यक्ति को हो जाता है वह बहुत बड़ा काम कर सकता है जैसा कि सारी दुनिया जानती है। संगठन में कितनी बड़ी ताकत होती है आप इस बात को समझ सकते हैं कि जिस संगठन की वजह से हम अपना उद्देश्य प्राप्त करना चाहते हैं उस संगठन और उद्देश्य के बीच हमें सामंजस्य बनाकर रखना है। संगठन के माध्यम से हमें अपने जैसे लोगों के निर्माण करने की जरूरत है। अपने जैसे व्यक्ति का निर्माण करना ही संगठन का मकसद होना चाहिए।
उद्देश्य के आधार पर कार्य करना
हर संगठन का अपना उद्देश्य और कार्यप्रणाली होता है। उस उद्देश्य और कार्यप्रणाली को ध्यान में रखकर संगठन एवं पार्टी के लोगों को काम करने की जरूरत है। अगर हम उद्देश्य को ध्यान में रखकर काम करते हैं तो वह उद्देश्य ही हमें रास्ता दिखाएगा।किसी व्यक्ति के आधार पर हमें काम नहीं करना है बल्कि हमें उद्देश्य के आधार पर कार्य करना है। राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद और निषाद पार्टी अपने पुरखों के सिद्धांतों के आधार पर चल रही है। बुद्ध ने संगठन का निर्माण किया और संगठन की वजह से बुद्ध ने शूद्रों/अतिशुद्रों को इस देश के मूलवासियों को देश का शासक बनाया जिससे देश में ज्ञान विज्ञान का विकास हुआ।
अगर हम राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद व निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के उद्देश्य, विचारधारा, कार्यप्रणाली, सिद्धांत और अनुशासन को ध्यान में रखकर काम करते है तो संगठन को सफल बना सकते है। हमे किसी व्यक्ति के आधार पर कार्य नहीं करना चाहिए, बल्कि व्यक्ति निरपेक्ष बनकर कार्य करना चाहिए। “ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर” अगर हम इस आधार पर कार्य करते है, तब जाकर हमें उद्देश्य पूर्ति की दिशा में मानव संसाधन को तैयार कर पाएंगे और जो हमारा महान उद्देश्य है उसको पूरा कर पाएंगे। इसलिए हर एक कार्यकर्ता को व्यक्ति निरपेक्ष होकर कार्य करना चाहिए।