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पार्टी के कार्यकर्ताओं में तिरस्कार और द्वेष की भावना के बजाए आपसी सामंजस्य की भावना होनी चाहिए तथा पदाधिकारियों में महत्वाकांक्षा के बजाय पार्टी के उद्देश्य के प्रति गंभीर होना चाहिए-
निषाद पार्टी का बहुत बड़े पैमाने पर विस्तार हो चुका है। आर. एस. एस. के गुरु गोलवलकर ने एक किताब में लिखा है कि ”किसी सामने वाले पार्टी को तबाह और बर्बाद करना हो तो उस पार्टी के बड़े पदाधिकारीयों में महत्वाकांक्षा निर्माण कर देना चाहिए, उस पार्टी के कार्यकर्ताओं में तिरस्कार और द्वेष की भावना का निर्माण कर देना चाहिए, इससे पदाधिकारी अपने महत्त्वकांक्षा और कार्यकर्ता आपसी टकराव के लिए काम करेगा। बिना कुछ किए ही वह पार्टी तबाह और बर्बाद होने लगेगा।
इस बात से सीख मिलती है कि कार्यकर्ताओं में तिरस्कार और द्वेष की भावना के बजाए आपसी सामंजस्य की भावना होनी चाहिए। पदाधिकारियों में महत्वाकांक्षा निर्माण के बजाय पार्टी के उद्देश्य के प्रति गंभीर होना चाहिए।” आजादी अनुशासन में रहने वाले लोगों ने ही हासिल किया है। दुनिया में जहां भी क्रांतियां हुई है उसमें अधिकतम 5% लोग कैडर बाकी सभी क्राउड वाले शामिल थे।
निषाद पार्टी में कई वर्षों से काम करने वाले लोग हैं ऐसी स्थिति में सभी लोगों को समान रूप से पार्टी के सिद्धांतों व उसके व्यवहार की जानकारी होनी चाहिए। क्योंकि इस पार्टी में 1, 2, 3, 4, 5 साल से भी काम करने वाले लोग हैं ऐसे कार्यकर्ताओं को निषाद पार्टी के सिद्धांत एवं व्यवहार की जानकारी ना होने से गंभीर समस्या पैदा होने का कारण बन सकता है। आज पूरे भारत के 20 राज्यों में पार्टी काम चल रहा है। ब्लाकों में भी पार्टी का काम चल रहा है। पार्टी में पहले हफ्ते में 1व 2 दिन कार्य होता था। लेकिन आज हर दिन काम हो रहा है और अब तो दिन में दो से तीन कार्यक्रम हो रहा है, क्योंकि समय कम है और काम ज्यादा है तथा समय मर्यादित है। आज पार्टी सहित कई अनुसांगिक संगठनों के दिशा निर्देश में काम चल रहा है। पार्टी बहुत तेजी से बढ़ रही है। इसका जीता जागता उदाहरण जागृति कार्यक्रम एवं रैलियों तथा संगठन में आए लोग अपने पुराने गुण दोष के आधार पर सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं। आने वाले लोग अपना चरित्र, आदत, दुर्गुण भी साथ में लेकर आते हैं। पुराने लोगों को प्रेरित करने के कारण नए लोग आते हैं। जब नए लोग आते हैं, तब अकेले नहीं आते हैं, साथ में बहुत सारी चीजें अपनी पुरानी आदतें, अपना चरित्र, अपने दुर्गुण, अपनी बीमारी सहित हर चीज लेकर आते हैं क्योंकि उससे पहले वह व्यक्ति किसी धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस में काम करने वाले लोग होते हैं। उपरोक्त संगठन व पार्टी में काम करने से उनके उद्देश्य, विचारधारा, कार्य पद्धति के अनुसार काम करने की आदत रहती है। उस क्रियाकलाप से संवैधानिक अधिकार से वंचित निषाद समाज को कोई भला नहीं हुआ। निषाद पार्टी में आने के बाद हर नया व्यक्ति चाहता है कि उसके अनुसार निषाद पार्टी में काम हो जैसा कि वह पहले से करता आ रहा है। पुरानी आदतों के अनुसार कार्य करने से निषाद समाज को कोई लाभ मिलने वाला नहीं है।
पार्टी में जो नए लोग आते हैं और उनका ठीक ढंग से शिक्षण-प्रशिक्षण नहीं हुआ है बगैर कैडराइजेशन से जो लोग आते हैं तो उनसे हम लोग जो भी काम करना चाहते हैं उसे ठीक ढंग से नहीं करा पाते हैं। जिस काम के लिए पार्टी के कार्यकर्ता पार्टी को चलाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं उस काम को करने में समस्या पैदा होती है। भविष्य में यह समस्याएं पैदा न हो इसलिए जो कमियां हैं वह पार्टी के दायरे में रहकर पूरा किया जा सकता है। यह जानकारी कार्यकर्ताओं पूरा रहे जिससे पार्टी की लक्ष्य और उद्देश्य को पूरा किया जा सके।

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