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उद्देश्य पूर्ति के लिए जानकारी का उपयोग करने के बाद ही ज्ञान प्राप्त होता है

ईमानदार लोग बुद्धिमान नहीं है और जो बुद्धिमान है वह ईमानदार नहीं है

कुछ लोग इस पार्टी के पहले क्षेत्रीय संगठनो में भी कार्य करते थे। हम जब तक राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद और निषाद पार्टी को नहीं समझेंगे तब तक हम को पता ही नहीं चलेगा कि दुश्मन किस तरह से हमारा इस्तेमाल कर रहा है।




ईमानदार लोग बुद्धिमान नहीं है और जो बुद्धिमान है वह ईमानदार नहीं है
हमारे समाज में जो ईमानदार लोग है, वह बुद्धिमान नहीं है और जो बुद्धिमान है वह ईमानदार नहीं है। राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद ऐसा संगठन है जो बुद्धिमान को ईमानदार और ईमानदार को बुद्धिमान बनाता है। इसके अलावा संवेदनशील को चालाक और चालाक को संवेदनशील बनाता है।




सभी को पता है कि राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद जो कार्य कर रहा है वह कार्य पूरे भारत में समाज के लिए कोई भी संगठन नहीं कर रहा है। बहुत सारे लोग राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद संगठन में कार्य कर रहे हैं वह कार्य पूरे भारत में समाज के लिए कोई भी संगठन नहीं कर रहा है बहुत सारे लोग अनेक संगठनों में नेतृत्व करते हैं हम जितने भी पार्टी देखते हैं। सभी पार्टियां क्राउड वेस है।




राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के अलावा कोई भी संगठन हमारे समाज में नहीं है जो कैडर वेस हो, चाहे वह सभी निषादों की राजनीतिक पार्टियां ही क्यों न हो। कैडर वेस संगठन का नेता जानता है कि वह क्या कर रहा है और किस दिशा में जा रहा है?




जो दिशा को जानता है वह अपने साथ कैडर को साथ लेकर चलता है। वह केवल अकेले नहीं चलता। राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद में राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व करने वालों से लेकर ग्राम स्तर तक नेतृत्व करने वालों का एक उद्देश्य सत्ता एवं व्यवस्था में परिवर्तन है एक विचारधारा है कि हम निषादराज के वंशज हैं और हमारा एक ही उद्देश्य सत्ता हासिल करना है। क्योंकि यह कैडर वेस संगठन है। इस संगठन को चलाने वाले लोग नेता नहीं बनना चाहते हैं।




बल्कि संगठन का कैडराइजेशन करना चाहते हैं क्योंकि हमारा मकसद बहुत बड़ा है। हमारी गुलामी बिना कैडर के और बिना विचारधारा के लोगों तक पहुंचे बिना समाप्त होने वाली नहीं है। ऐसे बहुत सारे आफसूट संगठनों के माध्यम से हमारा प्रत्येक घर ने पहुंचना बहुत जरूरी है। जो कार्यकर्ता दुश्मन को नहीं जान सकता, वह समाज की जागृति नही कर सकता।

सामाजिक जागृति करने का मौलिक सिद्धांत:
सामाजिक जागृति करने का मौलिक सिद्धांत है कि दुश्मन की पहचान होनी चाहिए। इन सारी चीजों की जानकारी प्रशिक्षण शिविर में मिलता रहता है। यदि आप अधिवेशन, शिक्षण प्रशिक्षण शिविर में आते हैं और प्रशिक्षण में बताई गई बातों को अमल में नहीं लाते हैं तो इन कार्यक्रमों में आने का कोई अर्थ नहीं होता है। केवल सूचना लेना ज्ञान नहीं है।




जानकारी का उपयोग करके उसे अमल में लाने पर ज्ञान पैदा होता है। अतः जब तक हम जानकारी का उपयोग करके अमल में नहीं लाते हैं तब तक हम ज्ञानी नही बन सकते हैं। हम लोगों को जानकारी और समझदारी का उपयोग मूलवासी निषाद समाज को आजादी दिलाने में करना चाहिए और जनांदोलन में शामिल होना चाहिए। हम लोगों को जिन जानकारियों को दिया गया उसे अपने क्षेत्र में प्रचारित प्रसारित करते रहना चाहिए।

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