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सपा, बसपा, कांग्रेस के विश्वासघात को न भूले मछुआ समुदाय

सत्रह जातियों के आरक्षण में यही दल खड़ा कर रहे है सफलता की राह मे रोड़ा।

सपा, बसपा, कांग्रेस के विश्वासघात को न भूले मछुआ समुदाय:
सत्रह जातियों के आरक्षण में यही दल खड़ा कर रहे है सफलता की राह मे रोड़ा।
भाजपा भी वादे के मुताबिक जल्दी से मछुआ अनुसूचित जाति के आरक्षण के विसगंति को दूर करने हेतु न तो न्यायालय में पक्ष मे दो साल से जबाबदेही नहीँ दाखिल कर रही है और नाहि सदन से मझवार, गोड, तुरैहा, खरवार, बेलदार, खरोट जो संविधान के अनुसूचित जाति की सूची में सूचीबद्ध है इनकी सभी पर्यायवाची जातियां अन्य राज्यों मे अनुसूचित जाति की सूची में है, जैसे दिल्ली मे मल्लाह, बंगाल में केवट आदि सामिल है लेकिन पिछली सरकारों ने पिछड़ी जाति की सूची मे सामिल कर धोखा किया। भाजपा उसे परिभाषित न कर मछुआ समुदाय के साथ नाइंसाफी कर रही है। अगर इसी तरह भाजपा का रवैया रहा तो मछुआ समुदाय के प्रति अनुचित हो रहा है। आप अतिपिछड़ों के लोग भली भांति जानते है कि सपा ने कांग्रेस से मिलकर 24/3/2014 को सत्रह जातियों का प्रस्ताव केन्द्र से निरस्त करा दिया था।
इसी तरह बसपा ने 11/4/2008 को केन्द्र से सत्रह जातियों का प्रस्ताव वापस मंगा लिया था।
मतलब साफ है कि सपा बसपा कांग्रेस की तिकड़ी सत्रह जातियों के लिये सबसे घातक साबित हो रही है।
सपा सत्रह जातियों को न्याय दिलाने का केवल दिखावा कर रही थी।
तो बसपा सीधे सीधे हमारे विरोध मे है।
और कांग्रेस आरम्भ से ही हमारा अधिकार हड़प रही है इसलिये सत्रह अतिपिछड़ि जातियों के लिये सपा, बसपा, कांग्रेस को सबक सिखाना सबसे पहली प्राथमिकता है और इस प्राथमिकता को पूरा करना निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी का सबसे बड़ा संकल्प है अनुसूचित जाति का अधिकार पाने के लिये निषाद पार्टी हर संघर्ष को तैयार है।




मझवार व सत्रह जातियों का वास्तविक प्रकरण क्या है?
मझवार 1950 से ही अनुसूचित जाति के रूप मे उ प्र वैलूम मे 51 वे क्रमांक पर अधिसूचित है, इसके आईडेटीफिकेशन की आवश्यकता है पर मुलायम और अखिलेश ने नया इनक्लूजन बनाकर अनावश्यक विवाद पैदा कर दिया जबकि केवल मंझवार अनुसूचित जाति व शिल्पकार जाति, बेलदार जाति, गोड जाति, तुरैहा जाति का संविधान आदेश 1950 की प्रस्तावना के अनुसार इसकी “sub caste, all the parts, all the races” का आईडेटीफिकेशन किया जाना था परन्तु वोट बैंक के चक्कर मे 2005 मे मुलायम सिंह यादव व 2013 मे अखिलेश यादव ने इसे नये शिरे से इनक्लूजन बनाकर प्रचारित कर दिया, इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि मलाईदार एस.सी. लांबी जो पीढी दर पीढ़ी एस.सी. आरक्षण को हड़प रही है तथा मंझवार, शिल्पकार, बेलदार, गोंड, तुरैहा आदि अनुसूचित जाति का हक सत्तर साल से अधिकार हड़प रही है, इन लोगों ने पहले कोर्ट से फिर कांग्रेस से मिलकर इसे निरस्त करा दिया तथा बार बार कोर्ट मे इनक्लूजन का केश बनाकर इसे स्टे करा रही है।
जबकि निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी की टीम ने मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद से यह साबित करते हुए कि मझवार जाति पहले से अनुसूचित जाति मे शामिल है स्टे वैकेट करा दिया था परन्तु बामसेफ का बसपाई गोरख प्रसाद ने 16/9/2019 को एक नई रिट दाखिल कर तथा न्यायालय को भ्रमित कर इसे नया इनक्लूजन बनाकर स्टे करा दिया। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सजय कुमार निषाद हाइकोर्ट इलाहाबाद के वकील मिले है फाईल तैयार हो गई हैं। इस स्टे को हम स्टे वैकैशन दाखिल करके शीघ्र वैकेट करायेगे यह हमारा मछुआरों, मझवार व सत्रह जातियों से वादा है निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी इसे पाने के लिये सभी विकल्पों पर काम कर रहा है
अनुसूचित जातियों का इतिहास- आजादी मिलने से पहले ही महामानव रामचरण मल्लाह लेजिस्लेटर एव बाबासाहब दलितो और पिछडो के विशेषाधिकारो की जोरदार वकालत कर रहे थे, इसलिए जब ब्रिटिस पार्लियामेंट मे इनकी मांगो पर चर्चा हुई तो साइमन कमीशन भारत भेजा गया, भारत मे मा. रामचरण मल्लाह एव बाबा साहब ने कमजोर वर्गो की तरफ से साइमन कमीशन के समक्ष मजबूती से पक्ष रखा, इस कमीशन की संस्तुति पर जे एच हट्टन तत्कालीन जनगणना आयुक्त ने बैकवर्ड / एक्सटीरियर कास्ट को चिन्हित कर 1935 मे गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट के माध्यम से इन जातियो को विशेषाधिकार दिलाने का काम किया गया हम भी 1931 के सर्वे मे उ प्र मे एक्सटीरियर कास्ट के रूप मे चिन्हित किये गये थे तथा 1950 मे हमे शिल्पकार की उपजाति के रूप मे अनुसूचित जाति का अधिकार दिया गया था यह आज भी हमे मिला हुआ है यह मामला नये शिरे से अनुसूचित जाति मे शामिल होने का नही है पर इसको विरोधियो द्वारा इसी रूप मे प्रस्तुत किया जा रहा है।




यही संविधान आदेश 10 अगस्त 1950 को संविधान आदेश अनुसूचित जाति 1950 के रूप मे पारित किया गया है इसमे हम शामिल है जिसमे अनुसूचित जाति के नाम से कमजोर जातियो को सामान्य वर्ग की बराबरी पर लाने के लिए विशेष प्रावधान किये गये है, इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के अंतर्गत शामिल किया गया है, हमारे समाज के लोगो को यह नही बताया गया कि यह प्रावधान विकास के विशेष अवसर प्रदान करता है बल्कि गुमराह किया गया है कि इससे हमारा स्तर छोटा हो जाएगा और इस तरह भ्रमित करके पूरे मछुआरा समाज सहित अति पिछडे वर्गो की बहुत बड़ी आबादी को उनके अधिकारो से वंचित रखकर आरक्षण की उनकी हिस्सेदारी को हड़प लिया गया, अभी भी यह हिस्सेदारी लूटी जा रही है इसलिए पूरे अनुसूचित जाति के आरक्षण की एकतरफा मलाई लूटने वाले अनुसूचित जाति के मलाईदार लोग बसपा व बामसेफ के माध्यम से हमारे समाज को गुमराह करके हमे अनुसूचित जाति के अधिकार से वंचित रखने का कुचक्र रच रहे है, इस कुचक्र मे हमारे ही समाज के कुछ अवांछनीय तत्व मोहरे के रूप मे इस्तेमाल हो रहे है।
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय कुमार निषाद के नेतृत्व एवं योजनबद्ध प्रयास से हम सबको पता चला कि संविधान अनुसूचित जाति आदेश 1950 से सम्बंधित संवैधानिक फाइल संख्या 74/4/1950 पब्लिक गुम हो गई है। यह जानकारी आरटीआई के जरिए मिला है। उत्तर प्रदेश राज्य से 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास 2007 से विचाराधीन है। सभी जातियों के बहुत से संगठन के लोगों द्वारा लगातार आंदोलन, धरना-प्रदर्शन, रैली, सरकार के धेराव चल रहा है। आरटीआई के जरिए कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने के प्रकरण में जानकारी मांगी गई थी जिसमें पत्रावली के गुम होने का खुलासा हुआ है। आरटीआई के अपील में केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा पारित आदेश संख्या सी.आई.सी./सी.ए./ए./ 2012/001036 दिनांक 06/09/2012 के परिपालन में केन्द्रीय सूचना अधिकारी एवं निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय नई दिल्ली भारत सरकार द्वारा अपने पत्र संख्या 17020/126/2011 एस.सी.डी.(आर.एल.शैल) दिनांक 16/10/2012 के माध्यम से सूचित किया है कि सूचना से सम्बंधित पत्रावली संख्या 74/4/1950 पब्लिक गुम हो गई है। इस पत्रावली के गृहमंत्रालय के पास होने की सम्भावना जताई गई। गृहमंत्रालय के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी नई द्वारा अपने पत्र संख्या 1/14/2012 ओ.आर.आर. दिनांक 29/12/2012 द्वारा अवगत कराया गया है कि सम्बंधित पत्रावली संख्या 74/4/1950 पब्लिक गृहमंत्रालय में नहीं है। संविधान से सम्बंधित पत्रावली कभी नष्ट नहीं की जाती है तथा ऐसी पत्रावलियां समय समय पर प्रशासकीय मंत्रालय की ओर से नेशनल आर्काइव्ज आफ इंडिया (एन.ए.आइ.) में हस्तांतरित की जाती है। उक्त पत्रावली या तो समाजिक न्याय एवं सहकारिता मंत्रालय के पास होगी अथवा नेशनल आर्काइव्ज आफ इंडिया के पास होगी। दिनांक 06/11/2013 के पत्र संख्या 01/14/2012 ओ.आर.आर के माध्यम से जन सूचना अधिकारी गृहमंत्रालय ने अवगत कराया है कि एन.ए.आई. के आर्कियोलोजिस्ट द्वारा लिखित रूप से यह सूचित किया गया है कि यह फ़ाइल एन.ए.आई. में कभी भेजा ही नहीं गया है। तथा एन.ए.आई. के पास भेजी गई फाईलों की 146 पेज की सूची उपलब्ध कराई गई है जिसमें संविधान अनुसूचित जाति आदेश 1950 से सम्बंधित संवैधानिक फाइल संख्या 74/4/1950 पब्लिक नहीं है। अर्थात फाइल संख्या 74/4/1950 पब्लिक कभी भेजी ही नहीं गई है।




केन्द्रीय सूचना अधिकारी एवं निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा पुनः अपने पत्थर संख्या 17020/126/2011 एस.सी.डी. (आर.एल.शैल) दिनांक 21/12/2014 द्वारा अवगत कराया गया है कि संवैधानिक फाइल संख्या 74/4/1950 पब्लिक खोजी नहीं जा सकी है। पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि यह पत्रावली धोखेबाजी से जाटवो को सभी पिछड़ी जातियों के हिस्से खिलाने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा. मुकुल वासनिक एवं कुमारी शैलजा के द्वारा अपने अधिनस्थ अधिकारियों के साथ षड्यंत्र रचकर गायब कराईं गई ताकि अतिपिछड़ी जातियों का अनुसूचित जाति का प्रकरण बाधित किया जा सके। इस लिए संसद मार्ग दिल्ली के थाने में 03/06/2019 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मा मुकुल वासनिक एवं कुमारी शैलजा और उनके अधिनस्थ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
सौजन्य से- निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल निषाद पार्टी
विस्तृत जानकारी हेतु विमुक्ति जनजाति दिवस के अवसर पर 31 अगस्त 2022 को लखनऊ कार्यालय पर वार्षिक अधिवेशन अपने साथियों सहित सभी कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी अवश्य पहुंचे और 9415261898 पर संपर्क करें#ऐनिषादराजकेवंशजोंउठोऔर_जाओ- निषाद राज के वंशजों पर निषाद राज का लेबल लगा दो तुम्हारी भी पावर आ जाएगी!
निषाद वंशजों को संदेश देना चाहते हैं की आप क्या हैं? आपकी कितनी शक्ति है? आप क्या कर सकते हो? आपके पास कितनी ताकत है?और इस ताकत को लोग कैसे बर्बाद कर रहे हैं? मैं कुछ लेने नहीं आया हूं आपसे? आपको कुछ देने आया हूं- मैं वह चीज देकर जाऊंगा की आपने उसे देना शुरू कर दिया तो आपकी आने वाली पीढ़ी का भविष्य उज्जवल हो जाएगा!
आपकी गरीबी आपकी लाचारी आपकी बेगारी और आप की बर्बादी को मै इकट्ठा करने के लिए आया हूं कि मेरे संदेश को सुन लिया और गांव वालों को सुना दिया तो जिस प्रकार कभी निषाद राज के हाथ में कलम थी जनता सुखी थी तो पुनः निषाद पार्टी के हाथ में कलम होगा और जनता सुखी होगी! वह संदेश क्या है- लखनऊ से कानपुर रोड पर 23 किलोमीटर दूर जाएंगे तो एक निषाद राज का किला है राम अयोध्या से गए तो महाराज गुहा राज निषाद से मिले थें तो वो महान हो गए!




“वर्तमान में इसका जीता जागता प्रमाण उत्तर प्रदेश का प्राचीन नगर तीर्थ स्थल कुंभ नगरी इलाहाबाद प्राचीन नाम “प्रयागराज” से लखनऊ कानपुर रोड पर 23 किमी दूरी पर स्थित ऐतिहासिक प्रसिद्ध प्राचीन नगर श्रृंगवेरपुर है यहां के महाराजा संगम राज निषाद के 3 पुत्र प्रयागराज निषाद, तीरथ राज निषाद, और निषाद श्रृंगी ऋषि थे! महाराज तीरथ राज निषाद के पुत्र महाराज गुहराज निषाद थे! महाराज गुहराज़ निषाद के किले व सुशासन प्रणाली के बारे में भारतीय पुरातत्व विभाग ने 1977 से लेकर 1982 तक कराए गए खुदाई के प्रमाण को लिख रखा है! आज से 2000 वर्ष पहले महाराज गूहाराज निषाद का राज/शासन अपने चरमोत्कर्ष पर था” जब राजा रानी के पेट से पैदा होता था तो हमारे पुरखे हुकूमत किया करते थे लेकिन हमारे पुरखों की हत्या कर दी गई यह जितने भी विदेशी आए आपको बर्बाद किए आप के किले को तोड़ दिया और 70 फुट नीचे गाड़ दिया आप अपनी पहचान भूल गए हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों, सक, यमन, हूंड, मुगल, एवं आर्यों को भगाया एक संविधान की किताब बनाया उस संविधान में यह तय हो गया जो इस देश की लड़ाई लड़ा हो और इन विदेशियों को भगाया हो जो कानून बनाकर हमें उजाड़ा हो इसमें निषादों का भी मछुआरों का भी आरक्षण है उसे मिलना चाहिए हमारे लोगों ने लड़ाई लड़कर देश आजाद तो करा दिया लेकिन आजाद कराने के बाद एक गलती कर बैठे कि हम सामाजिक संगठनों से लड़ते रहे हैं इस देश के लोग राष्ट्र भक्त हुआ करते थे ! लड़ाई लड़ते रहे सामाजिक संगठनों के सहारे लड़े और अंग्रेजों को भगाया हमारे पास राजनीतिक पार्टी नहीं थी मेरे पास झंडा, टोपी, नारा, नेता, चुनाव चिन्ह, नहीं था कोई दल नहीं था हम लोगों ने गलती से कांग्रेस का बटन दबा दिया कांग्रेसियों ने- “जय जवान” “जय किसान” का नारा दिया सारे कांग्रेसी जवान हो गए और किसान बूढ़े हो गए 70 साल से हम लोग दल में ना रहने के कारण दलदल में आ गये आपके सामने महा दलदल में रहने वाले दलित समाज एक नेता, एक नारा, एक टोपी, एक चिन्ह, पर विश्वास किया! एक नेता को अपना अगुआ माना बहन कुमारी मायावती को तो 100 गुना दलदल में रहने वाला समाज महल में गया कि नहीं गया- गया! दलित भाइयों ने बहन जी को अपना कमांडर माना तो उनका हक हिस्सा अधिकार उनके घर पर आया कि नहीं आया- आया! ठीक उसी प्रकार से डॉ संजय कुमार निषाद की 99 गलती आप माफ करोगे और अपना कमांडर मान लोगे तो आप का भी हक हिस्सा अधिकार आपके दरवाजे तक आएगा! आपके सामने दलित समाज महल में आया कि नहीं आया- आया! ऐसे नहीं मानेंगे हाथ उठाकर बोलो आया कि नहीं आया-आया! जो दलदल में था वह महल में है कि नहीं है- है! लेकिन जो दलालों के चक्कर में दलित थे वह दलदल में है कि नहीं है- हैं! आज भी वो दलित जो गांव में बसा है गांव के दक्षिण के किनारे दलालों के चक्कर में हैं वह आज दलदल में है कि नहीं है-है! उसी तरीके से डॉक्टर संजय निकले जो समाज दलदल में चला गया है अगर निषाद पार्टी के दल में आ गए और अपने समाज को लेकर आ गए तो आपकी आने वाली पीढ़ी महल में रहेगी आप तैयार हैं कि नहीं तैयार हैं- तैयार हैं! नाक कान गला चेहरा मां बाप से मिलता है मां-बाप का खून असली वाला आता है कि नकली वाला- असली वाला! निषाद राज का खून हम लोगों के शरीर में आया है कि नहीं आया है- आया है! निषादराज कमजोर थे कि शेर थे- शेर थे! आवाज कैसा होना चाहिए शेर जैसा-जय निषाद राज! हमारे बच्चे कमजोर रहेंगे कि शेर- शेर! दलदल में रहेंगे कि महल में- महल में रहेंगे! कच्चा की पक्का- पक्का! हमारा इतिहास खराब था कि अच्छा था- अच्छा था! हमारे पुरखे खराब थे कि अच्छे थे- अच्छे थे! ये सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस, पार्टियां हमारा दशा अच्छा कर दिया कि खराब- खराब कर दिया! इन पार्टियों ने हमें आबाद कर दिया कि बर्बाद- बर्बाद! इन पार्टियों को आबाद करना है कि बर्बाद- बर्बाद करना है! 70 साल से जिसकी सरकारें थी उन्होंने हमें आबाद किया कि बर्बाद-बर्बाद! अब बर्बाद होना चाहते हैं कि आबाद होना चाहते हैं- आबाद होना चाहते हैं! निषादराज पांव में थे कि पावर में थे- पावर में थे! हमारी गलती से 70 साल से वो लोग पावर में है कि नहीं है- हैं! क्योंकि आपके ऊपर पौवा का लेविल लगा दिया! निषादों के वोट पर पौवा का लेविल लगा दिया और 5 साल पौवा पिलाकर 5 साल के लिए पावर में चले गए आप 70 साल से पांव में हो! “ऐ निषाद राज के वंशजों उठो और जाओ निषाद राज के वंशजों पर निषाद राज का लेबल लगा दो तुम्हारी भी पावर आ जाएगी” कितने लोग पावर में आना चाहते हैं-सभी लोग! पैसा चाहिए कि पावर- पावर! निषाद राज के पास पैसा था कि पावर- पावर था! निषादराज मांगते थे कि देते थे- देते थे! टिकट मांगना है कि देना है- देना है! 2017 में हमने टिकट दिया था कि नहीं दिया था- दिया था! 70 साल से हम लोग धोखा खा रहे हैं कि नहीं- खा रहे हैं! अब धोखा खाना है कि धक्के मारना है- धक्के मारना है! अपने दरवाजे से दुश्मन पार्टियों को धक्के मारकर भगाना है कि नहीं भगाना- भगाना है! अगर धक्के मारकर भगाना है तो पावर में आना है कि नहीं आना है- आना है! कितने लोग पावर में आना चाहते हैं- सभी लोग! राजनीतिक पावर भगवान से कई गुना पावर है कि नहीं है- है!




“Politicul power strong is the gord power” आप बटन नहीं दबाते भाजपा का 2022 में तो क्या भाजपा पावर में आ पाती- नहीं! आपने पंजा बटन दबाना बंद कर दिया तो पंजा जिंदा है कि मर गई- मर गई! आप हाथी का बटन छूना बंद कर दिए तो हाथी जिंदा है कि मर गई- मर गई! आपने साइकिल बटन छूना बंद कर दिया तो साइकिल पंचर हो गई कि नहीं हो गई- हो गई! बोलो भाई हो गई कि नहीं हो गई- हो गई! दिखाई दे रहा है कि नहीं- दे रहा है! इसका मतलब हम लोग जिसकी बटन दबाएंगे उसकी सरकार बनेगी वह पावर में आएगा! 2024 में निषाद पार्टी की बटन दबाकर पावर में आना होगा और मान, सम्मान, स्वाभिमान, रोटी, कपड़ा, और मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजनेस, व्यापार, एवं राजनीत में हिस्सेदारी दिलाना है! आप बताओ हमारे बोट में कम शक्ति है कि बहुत- बहुत शक्ति है! हमारा वोट कम है कि ज्यादा- ज्यादा! ज्यादा की सबसे ज्यादा- सबसे ज्यादा! पौवा भर की झौवा भर- झौआ भर! बोलो एक झोरा की एक बोरा- एक बोरा! सरकार किसके पास है एक झोरा वाले के पास कि एक बोरा वाले के पास- एक झोरा वाले के पास! 70 साल से पावर किसके पास है! एक झोरा वाले के पास- एक झोरा वाले के पास! वोट में हमारी संख्या पौवा भर की झौआ भर- झौआ भर! नौकरी किसके पास है ,दरोगा किसका है, सिपाही किसका है, डीएम किसका है, सीएम किसका है, पीएम किसका है, मतलब झौआ वालों को छोड़कर पावर किसको दे रहे हैं पौवा वालों को! समझ में आ रहा है कि नहीं- आ रहा है! अब पावर किसके पास रहेगा पौवा वालों के पास कि झौआ वालों के पास-झाबुआ वालों के पास! हमारा पावर कैसे उनके पास जा रहा है! क्योंकि पौवा वाले वोट पार्टी बनाएं हैं! अच्छा यह बताओ पंडित जी का वोट हमसे ज्यादा है कि कम है- कम है! यादव जी का कम है कि नहीं- है! चमार भाई का कम है कि नहीं है- है! सबका वोट हमसे कम है कि नहीं है- है! सब लोगों ने क्या बनाया पार्टी सब लोगों ने पार्टी बनाकर पावर में आए कि नहीं आए- आए! तो हम लोगों ने भी पार्टी बनाया कि नहीं बनाया-बनाया! हम लोग भी पावर में रहेंगे कि नहीं रहेंगे- रहेंगे! अब पौवा वाला जीतेगा की पार्टी- पार्टी! अब हमारे मोहल्ले में कौन पार्टी जीतेगी- निषाद पार्टी! हमारे दरवाजे पर किसका लेबिल होगा- निषाद पार्टी का! हमारे घर पर किस का झंडा होगा- निषाद पार्टी का! गांव का विकास कौन करेगा- निषाद पार्टी! मजदूरों को नौकरी कौन देगा- निषाद पार्टी! कौन जीतेगा- निषाद पार्टी! जयकारा किसका होगा- निषाद पार्टी का!2027 में विधायक किसका होगा- निषाद पार्टी का! सत्ता किसके हाथ में रहेगा- निषाद पार्टी के हाथ में रहेगा तो ये झौआ भर वोट कहां रहेगा गांव में की पार्टी में- पार्टी में रहेगा!
आज इस देश का नाम “भारत” है। जब इस देश पर अंग्रेजी शासन था तब इस देश का नाम “इंडिया” पड़ा। अंग्रेजों से पहले इस देश पर मुगलों ने शासन किया, तब इस देश का नाम “हिन्दुस्तान” था। मुगलों के पहले इस देश पर आर्यों का शासन था तब इस देश का नाम “आर्यावर्त” पड़ा। आर्यों से पहले इस देश पर शकों, यमनों, हुणों एवं पहलुओं का शासन था तब इस देश का नाम “जम्बूदीप” था। यनि की पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जिसे कितने नामों से जाना जाता है। अर्थात पांच नामों से जाना जाता है।ca-pub-3684025280156024″ data-ad-slot=”1463093354″ data-ad-format=”auto” data-full-width-responsive=”true”>



हमारे पिछली पीढ़ी के संघर्षों का परिणाम है कि आज हम थोड़ा बहुत पढ़-लिख लिए है। पढ़े-लिखे होने के बावजूद भी हम धर्मान्ध अंधविश्वासी व्यवस्था की गुलामी को नहीं समझ पा रहे हैं आज की जो सामाजिक समस्या है उसमें शिक्षा योग नेतृत्व का अभाव होने की वजह से हम लोगों की हालत बद से बदतर होती जा रही है।
निषाद पार्टी के सभी शिक्षित-प्रशिक्षित, दक्ष, अनुशासित कार्यकर्ताओं को अपने समाज का नेतृत्व करना होगा। नहीं तो हमारे समाज की हालत बद से बदतर हो रही है व रुकने का नाम नहीं ले रही है। इसे रोकने के लिए हमें अपने समाज को प्रयागराज की पावन धरती पर स्थित श्रृंगवेरपुर धाम के महाराजा गुह्यराज निषाद जी के ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक विषयों पर जानकार, समझदार, होशियार, ज्ञानवान, शिक्षित, प्रशिक्षित, दक्ष अनुशासित कार्यकर्ताओं की फौज तैयार एवं जागृत कर उन्हें संगठित करना होगा। उन्हें उनकी राजनैतिक गुलामी का एहसास कराना होगा। तब जाकर हम उन्हें जागृत कर सकते हैं और जागृत करके व्यवस्था व सत्ता में परिवर्तन के लिए उन्हें तैयार कर सकते हैं। तभी हम व्यवस्था और सत्ता में परिवर्तन करके अपने महाराजा गुह्य राज निषाद जी की खोई हुई निषाद संस्कृत एवं सभ्यता को पुनः कायम कर सकते हैं और देश को फिर से सोने की चिड़िया बना सकते हैं अगर हम देश में क्रांति की आग पैदा कर देते हैं तो दुश्मन सत्ता छोड़ कर हट जाएगा और हमारे जूते के फीते खोलने को मजबूर हो जाएगा। लक्ष्य परक एवं अनुशासित कार्यकर्ता ही कैडर होता है। भविष्य में निषाद पार्टी का कैडराईजड कार्यकर्ता ही पार्टी और समाज का नेतृत्व करेगा।
आस्तीन के सापो द्वारा पार्टी को तोड़ने का सपना कभी साकार न हो सकेगा – डॉ संजय कुमार निषाद – राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी)
निषाद वंश के लोगो हमारे निरंतर अथक प्रायशो के उपरांत भी खुद के गुनाह स्वीकार नहीं कर रहे है और तो और हमारे बफादार साथियो पर खुद के किये कुकर्मो का कीचड उछाल रहे है. दूसरे दलों के नेताओ के इशारे पर उनके हाथो की कठपुतली बने वे लोग जो पार्टी को तोड़ने का सपना देख रहे है वे आज अंतिम बार अपने जहाँ में एक बात ठीक तरीके से बिठा ले कि मेरे जीते जी उनका ये सपना कभी साकार नहीं हो सकेगा. निषाद पार्टी में लोगो के खून पसीने की कमाई की एक एक पाई का हिसाब रखना जिन लोगों का काम था उन्होंने ही पार्टी और अपनों के साथ विश्वासघात करके धन गवन कर लिया, उनके इस घ्रणित कार्य और धोखे के लिए निषाद वंश की आने वाली पीढ़ियां कभी माफ़ नहीं करेगी.




आज मीरज़ाफर की कहानी को दोहराने वाले लोग भूल गए है कि वो अपने सत्ता राजपाट वापस हासिल करने की बात भूल कर भूल भूलैया में खो गए है जहाँ से अब उनका निकलना नामुमकिन है, मेरे समझाने के सभी अथक प्रयास उनको इसलिए समझ नहीं आये क्योकि पार्टी तोड़ने के षडयंत्रकारियो साजिश रचने वालो के चुंगल में फ़सकर उनके इशारे पर काम कर रहे है. इतिहास गवाह है ऐसे लोगो का नाम तो लिया जाता है लेकिन उनके नाम के साथ गद्दार का तमगा लगा ही रहता है. आज जो लोग अपना घर परिवार छोड़कर दिन रात पार्टी और संगठन को खड़ा करने के लिए काम कर रहे है आने वाला समय बहुत ही स्वर्णिम है, वे सभी जो पार्टी के साथ ईमानदारी और बफादारी के साथ काम कर रहे है निश्चिंत और मेरे ऊपर यकीन करके लगे रहे न केवल वो बल्कि उनके आने वाली पीढ़िया और निषाद वंश के सुनहरे भविष्य के निर्माता के रूप में जाने जायेंगे !!
///// जय निषाद राज /////
///// निषाद पार्टी ज़िंदाबाद /////
राष्ट्रीय अध्यक्ष
“डाक्टर संजय कुमार निषाद जी
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