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पार्टी एवं संगठन का उद्देश्यपरक अनुशासन- मुरलीधर निषाद

कोई भी कार्यकर्ता/पदाधिकारी कोई भी कार्य, अपनी शक्ति का दुरुपयोग और शक्ति के नियंत्रण में रह कर नहीं कर सकता अर्थात आपको जो अधिकार दिया गया है यदि उसका उपयोग आप अपने निजी काम के लिए करेंगे तो आपका अधिकार समाप्त कर दिया जाएगा। यदि आपको आदेश देने का अधिकार दिया गया और आप यूनिट से काम ही नहीं ले पा रहे हैं तो भी आपसे अधिकार वापस ले लिया जाएगा। क्योंकि दोनों दशाओं में संगठन का नुकसान होगा और उसका खामियाजा समाज को भुगतना पड़ेगा। राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद एवं निर्बल इंडियन में,शोषित हमारा आम दल में दो प्रकार का अनुशासन है। एक उद्देश्य पूरक अनुशासन और दूसरा संगठनात्मक अनुशासन । यदि उद्देश पूर्ति की मांग के लिए काम करें तो आपको आदेश देने की जरूरत ही नही है। लेकिन आप नही करते हैं तो आपको आदेश देना पड़ता है। इसलिए उद्देश पूरक अनुशासन होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो संगठनात्मक अनुशासन लागू होगा। यदि वह भी नहीं मानते हैं तो समस्या निर्माण होता है। जब आप को समझ में नहीं आता है तो समझाया जाता है, समझने के बाद भी नहीं करते हैं तो समस्या निर्माण होता है।

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