सत्ती चौरा घाट, कानपुर १८५७

१८५७ में कानपुर के पास बिठुर सैनिक छावनी से हजारों अंग्रेज सैनिकों को
सैकड़ों नावों में बैठाकर समाधान निषाद व लोचन निषाद की अगुआई में सैकड़ों नाविक
गंगा नदी के रास्ते कलकत्ता जा रहे थे। जाते समय रास्ते में इलाहाबाद से पहले प्राचीन
नगरी श्रृंगवेरपुर में नदी के किनारे किले पर रात्रि विश्राम के लिए सभी नाविक रुक गये।
अंग्रेज नाव पर विलासिता में लिप्त थे। सभी नाविक भोजन पानी के लिए किले के पास
निषाद बस्ती में आ गये। गाँव के लोगों ने भारी संख्या में अंग्रेज सैनिकों को देखकर
नाविकों का जबरदस्त विरोध किया और कहा कि अंग्रेज हम लोगों को गुलाम बना कर रखे
है तथा हमारे बहन बेटियों की इज्जत लूटते हैं, तुम लोग इनकी सेवा कर रहे हो। आज तो
निषाद के नाम पर तुम लोगों को दाना-पानी मिल जा रहा है लेकिन इसके बाद तुम लोगों
को यहाँ ठहरने नहीं देंगे। यह देश हम निषादों का है इन गद्दारों, लुटेरों का नही है जिनकी
तुम लोग सेवा कर रहे हो। समाधान निषाद और लोचन निषाद ने उन लोगों से पूछा,
बगल में किसका टीला है। गाँव वालो ने डाट कर कहा कि चुप हरामजादे यह टीला नहीं,
तुम्हारे वंश के महाराजा गुह्यराज निषाद जी का किला है। जिसको दुश्मनों ने तोड़ डाला है
और आज तुम लोग उन्ही गद्दारों, लुटेरो की सेवा कर रहे हो । समाधान और लोचन निषाद
को यह सुन कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि हमारे वंश में भी कभी राजा थे और उनका राज्य
हुआ करता था। यह सुन कर सभी नाविकों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया समाधान और
लोचन निषाद की अगुआई में सभी नाविकों ने वही प्रण किया कि अब हम इन विदेशी
गद्दारों की सेवा नही करेंगे बल्कि नदी में डूबो कर मार डालेंगे और अपना खोया हुआ
राज-पाट वापस लेकर रहेंगे। सभी नाविकों ने योजना के तहत समाधान निषाद और
लोचन निषाद की अगुआई में सभी अंग्रेज सैनिकों को नदी में डुबोकर मारने को ठान
लिया। सभी नाविकों ने कहा कि जब मारना ही है तो क्यों न अपने गाँव के सामने मारा
जाय ? चलो अब अंग्रेजों से झूठ बोलना पड़ेगा की गंगा नदी आगे सूखी है, आगे मीरजापुर
का पठारी क्षेत्र है नांव पत्थर से लड़कर फट जाएगी। इसलिए जब बरसात के समय गंगा
में पूरा पानी भर जायेगा तब हम जल्दी से कलकत्ता पहुंचा देंगे। नाविकों की बात मानकर
अंग्रेज वापस जाने को तैयार हो गए। समाधान निषाद और लोचन निषाद ने सभी नाविकों
से कहा की जब सभी नारवें गंगा की बीच धारा में पहुंचेंगी तब हम दोनों एक साथ अपना
पघारा (पगड़ी) हिलायेंगे, तब सभी लोग अपने-अपने नाव में रखा टांगा उठायेंगे और नाव
के पेंदे में जोर से मारेंगे जिससे नाव का पटरा टूट जाय और नाव पानी में डूब जाय। जो
नाविक अपनी नाव नहीं डूबायेगा, हमलोग खुद उसको डूबो कर मार डालेंगे। सभी नाविक
अपनी रोजी-रोटी की चिंता किये बिना पूर्व योजना के अनुसार समाधान और लोचन
निषाद की अगुआई में बरसात होने पर सभी अंग्रेज सैनिकों को नाव में बैठाकर कलकत्ता
के लिए चल देते हैं जैसे ही नाव नदी की बीच धारा में पहुंचती है, तो समाधान और लोचन
निषाद ने एक साथ अपना-अपना पघारा हिलाया सभी नाविक योजना के अनुसार टांगा
उठाकर नाव के पेंदे में जोर से मारे और सभी नावों का पटरा टूट गया और सारी नावें
पानी में डूब गयीं। सभी अंग्रेज सैनिक डूब कर मर गये, लेकिन दुर्भाग्यवश एक अंग्रेज
सैनिक और ब्लैक स्मिथ नामक कमांडर बच गया। उसने महारानी विक्टोरिया को पत्र
लिखा, कि हे महारानी ! जो निषाद हम लोगों की खूब सेवा करते थे, वे आज पागल हो गये
हैं। हजारों सैनिकों को गंगा में डुबो कर मार डाला। अब हम लोग कैसे आयेंगे और
जायेंगे। ये निषाद हम लोगों को नदी में डुबो कर मार डालेंगे। तब महारानी विक्टोरिया ने
इतिहासकारों को बुलाया और सर्वे कराया, तो इतिहासकारों ने बताया कि यह देश निषादों
का है। निषाद ही इस देश के असली मालिक हैं, ये आर्य, शक, यवन, हूण, एवं मुगलों से
लड़ते आये हैं और आज आप लोगों से लड़ रहे हैं। अगर इस देश पर अधिक दिनों तक
शासन करना है तो इन निषादों को दबाकर रखना होगा। इस घटना से आक्रोशित होकर
अंग्रेजों ने निषादों के उस गाँव को जला दिया तथा २७ जून १८५७ को सत्ती-चौरा घाट पर
१६७ लोगों को पीपल के पेड़ में कच्ची फांसी दे दी। सन १८६० में अंग्रेजों ने सी. आर. पी.
सी. एक्ट १८६०(भारतीय दण्ड संहिता १८६०) बनाकर देश की आजादी की लड़ाई लड़ने
वालों के ऊपर अत्याचार शुरू कर दिया। लन्दन की ब्रिटिश पार्लियामेंट में साइमन स्टीफेन
नामक सांसद ने कहा कि डाक्टर के घर डाक्टर, इंजिनियर के घर इंजिनियर, नेता के घर
नेता, डाकू के धर डाकू और चोर के घर चोर पैदा होता है। इसलिए ये जन्म से ही अपराधी
हैं। ये चोर जाति के हैं, इनको कानून बनाकर उजाड़ी। तब १२ अक्टूबर १८७१ को
क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट (जन्म जात अपराधी) घोषित कर, निषादों को जेल में बन्द करना
शुरू कर दिया। इस काले कानून से बचने के लिए निषाद लोग जो- जो पेशा करते थे उसी
पेशे को जाति बना लिए। इस प्रकार निषाद वंश के लोग ५७८ उपजातियों में बट गये तब
अंग्रेज सैनिक निषादों के गांवों में जाकर निषादों को खोजने लगे। जब निषाद लोग नहीं
मिलते थे तो अंग्रेज सैनिकों ने कहा कि निषाद नहीं मिल रहे हैं तो इनके महिलाओं के पेट
में पलने वाला बच्चा तो निषाद होगा। उन निषाद गर्भवती महिलाओं को पकड़ कर जेल में
बन्द करने लगे। दुनिया में पहली बार महिला जेल निषाद माताओं के लिए बना । निषाद
लोग घर छोड़कर जंगलों में रहने लगे। इससे भी अंग्रेों को संतोष नही हुआ तो १८७८ में
फारेस्ट एक्ट, फेरिज एक्ट, माइनिंग एक्ट, फिशरीज एक्ट बनाकर जल, जंगल, जमीन,
नदी, ताल व घाट से उजाड़ दिया। भारत देश तो १५ अगस्त १६४७ को आजाद हो गया
लेकिन काले कानून से प्रभावित इस देश के आदिवासियों, मूलवासियों को ५ वर्ष १६ दिन
बाद तक देश में गुलाम बनाकर रखा गया। ३१ अगस्त १६५२ को इस देश के प्रथम
गृहमंत्री सरदार वर्लभ भाई पटेल ने इन सभी उप जातियों को अंग्रेजों के काले कानून से
मुक्त कराया। अगर इस देश के असली मालिकों को १२ अक्टूबर १८७१ को काला कानून
बनाकर उजाड़ा गया तो देश आजाद होने के बाद सबसे पहले कानून से उजड़े लोगों को
कानून बनाकर बसाना चाहिए था की नहीं, कानून बनाकर बसाना चाहिए। क्या सपा
बसपा, भाजपा, कांग्रेस ने आपको संविधान में लिखा संवैधानिक अधिकार (आरक्षण)
दिया. नहीं दिया ? चारों पार्टियों ने हमारा वोट लेकर सरकार बनाई है। लेकिन हमारा
आरक्षण दिया, नहीं दिया। क्या हम लोगों को इन चारो पार्टियों सपा, बसपा, भाजपा,
कांग्रेस को वोट देना चाहिए, नहीं? ये सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस हमारा हिस्सा खाकर
मोटा हो रही हैं कि नहीं, हमारा पूरा हिस्सा खाकर मोटा हो रहीं है। देश के आजादी की
पहली लड़ाई में समाधान निषाद और लोचन निषाद के नेतृत्व में सैकड़ो नाविकों ने हजारो
अंग्रेज सैनिकों को गंगा नदी में डुबोकर मार डाला, तो इनको शहीद का दर्जा मिलना
चाहिए। क्या इन चारो पार्टियों ने इनका सम्मान दिया, नहीं दिया ? राष्ट्रीय निषाद एकता
परिषद् के सौजन्य से हर साल २७ जून को कानपुर के सत्तीचौरा घाट पर इन वीर
क्रांतिकारी शहीदों का शहादत दिवस मनाया जाता है। आप लोग इनकी शहादत दिवस
मनाने सत्तीचौरा घाट (कानपुर) चलेंगे की नहीं, हम लोग चलेंगे। क्या किसी ने आज तक
इस बात को बताया, नहीं बताया ? अगर इस बात की जानकारी राष्ट्रीय निषाद एकता
परिषद् के माध्यम से हम सब लोगों को हो गयी की हम सब लोग एक ही वंश के है,
अब हम सब लोग आपस में एक रहेंगे की नहीं, हम लोग एक रहेंगे। समाधान और लोचन
निषाद के नेतृत्व में सभी नाविकों ने अनुशासन में रहकर अपने दुश्मनों को नदी में
डुबोकर मारा तो आप लोग डाक्टर संजय कुमार निषाद जी के नेतृत्व में अनुशासन में
रहकर अपने वोट से इन चारो पार्टियों सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस को इस उत्तर प्रदेश में
सत्ता से बाहर करके अपना खोया हुआ राजपाट, हक अधिकार, मान-सम्मान, स्वाभिमान
वापस लेंगे की नहीं, अपना राजपाट लेंगे। क्योकि आज का राजा, रानी के पेट से नहीं,
बल्कि वोट से पैदा होता है। इसलिए अब हम अपना वोट अपनी पार्टी ‘निर्बल इण्डियन
शोषित हमारा आम दल” (निषाद पार्टी) को ही देंगे। अगर आप लोग निर्बलों, शोषितों,
संवैधानिक अधिकारों से वंचितों का वोट ईमानदारी से निर्बल इण्डियन शोषित हमारा
आम दल नामक पा्टी को वोट डलवा दिया तो निश्चित रूप से आपका खोया हुआ
राज-पाट, हक, अधिकार, मान, सम्मान, स्वाभिमान मिल जायेगा।
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