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29 मार्च निषाद राज के किले पर किला पूजन -डॉक्टर संजय निषाद

साथियों जय निषाद राज
आज इस देश का नाम “भारत” है। जब इस देश पर अंग्रेजी शासन था तब इस देश का नाम “इंडिया” पड़ा। अंग्रेजों से पहले इस देश पर मुगलों ने शासन किया, तब इस देश का नाम “हिन्दुस्तान” था। मुगलों के पहले इस देश पर आर्यों का शासन था तब इस देश का नाम “आर्यावर्त” पड़ा। आर्यों से पहले इस देश पर शकों, यमनों, हुणों एवं पहलुओं का शासन था तब इस देश का नाम “जम्बूदीप” था। यनि की पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जिसे कितने नामों से जाना जाता है। अर्थात पांच नामों से जाना जाता है।
क्या कभी हम लोगों ने यह जानने की कोशिश की कि भारत का पाँच नाम क्यूँ पड़ा। अन्य देशों का नाम क्यूं नहीं दो-तीन बार पड़ा। आखिर उसका भी तो कई नाम होना चाहिए था। इसका मतलब यह कि सब के सब विदेशी आक्रमणकारी थे। जो इस देश पर शासन किये। इसलिए इस देश का नाम अलग-अलग पड़ा। इससे यह सिद्ध होता है कि इसके पहले इस देश का असली नाम कुछ और रहा होगा। क्या आप जानना चाहते हैं? तो जान लीजिए इन सभी विदेशी आक्रमणकारीयों से पहले इस देश का नाम “निषाद देश” था। साथियों यह मैं नहीं कह रहा हूं।यह इतिहास कहता है। फैजाबाद यूनिवर्सिटी में एक किताब पढ़ाई जाती है, वैदिक एवं ब्राह्मणी धर्म”। जिसके लेखक “डाक्टर श्रीकांत पाठक” जी हैं। उन्होंने इस किताब के पेज नम्बर 10 पर लिखा है “सभ्यता के क्रमिक इतिहास में निग्रेटो के पश्चात इस देश में जिस संस्कृति का आगमन हुआ उसे निषाद संस्कृति के नाम से अभिहित किया जाता है”। यानि कि निषाद संस्कृति के नाम से जाना जाता है। निषाद कोई जाति नहीं है। “निषाद” इस देश का प्राचीन नाम है। “न:” का मतलब होता है जल और “षाद” का मतलब शासन करने वाला। अर्थात जल पर शासन करने वाले को निषाद कहते हैं। पूरी दुनियां में दो हिस्सा जल है और एक हिस्सा जमीन। तो नदियों के किनारे कौन पाये जाते हैं? “निषाद ” तो इस देश का क्या नाम था? “निषाद देश.”। कहा गया है- इतिहास के खंडहरों पर वर्तमान का वैभव छिपा होता है। जो समाज अपना इतिहास नहीं जानता वह कभी अपना इतिहास नहीं बना सकता। नालंदा विश्वविधालय के कुलपति “प्रो.अमर्त्यसेन” ने एक किताब “जस्टिस आँफ इंडिया” लिखी। उन्होंने इस किताब में लिखा है कि ईस्वी एक में इस देश की आबादी दो करोड़ थी। पढ़े लिखे लोग 75% थे और सकल घरेलू उत्पाद यानि कि विकास दर (GDP) 33.5% थी। तब इस भारत देश को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था।उस समय निषादों का शासन हुआ करता था। संस्कृति “निषाद संस्कृति” हुआ करती थी।
भारत देश का असली नाम निषाद है तो इस देश की लड़ाई कौन लड़ा होगा? उजड़ा कौन होगा? निषाद। बर्बाद कौन हुआ होगा? निषाद। आगे कौन लड़ेगा? निषाद। आरक्षण किसे चाहिए? निषाद। राजनीति कौन करेगा? निषाद। निषाद पार्टी कौन चलाएगा? निषाद। तन, मन, धन, से सहयोग कौन करेगा? निषाद। पार्टी का प्रचार- प्रसार कौन करेगा? निषाद। सत्ता की चाभी कौन लेगा? निषाद।
आएं विचार करें- देश कब आजाद हुआ? 15 अगस्त 1947 में। पूरी आजादी कब मिली ?1950 में। संविधान कब लिखा गया? 1950 में। सबका हिस्सा स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, व्यापार, उद्दोग, राजनीति का कब लिखा गया? 1950 में। सभी नागरिकों का मान-सम्मान, स्वाभिमान, रोटी, कपड़ा, और मकान कब लिखा गया? 1950 में। पंडित जी, बाबू साहब का हिस्सा कब लिखा गया? 1950 में। चमार भाईयों का हिस्सा कब लिखा गया? 1950 में। यादव भाईयों का हिस्सा कब लिखा गया? 1950 में। हम केवट, मल्लाह, बिंद, निषाद, कश्यप, कहार, रैकवार, बाथम, सोरहिया, खुलवट, बड़ई, लोहार, भर, राजभर, धीवर. तेली, तमोली आदि सभी जातियों का हिस्सा कब लिखा गया? 1950 में।
संविधान शब्द में “सम्” का मतलब- समान, विधान का मतलब- कानून। अर्थात संविधान का अर्थ समान कानून। सबका हिस्सा आरक्षण से स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, व्यापार, उद्दोग, राजनीति में समान या बराबर। संविधान से अन्य समाज का हिस्सा मिला की नहीं मिला- मिला। पंडित जी, बाबू साहब का हिस्सा मिला की नहीं मिला- मिला। चमार भाईयों का हिस्सा मिला की नहीं मिला-मिला। यादव भाईयों का मिला की नहीं मिला- मिला। हम केवट, मल्लाह, बिंद, निषाद, कश्यप, कहार, रैकवार, बाथम, सोरहिया, खुलवट, बड़ई, लोहार, भर, राजभर, धीवर. तेली, तमोली का हिस्सा मिला- नहीं मिला। लेना है कि नहीं लेना है?- लेना है। तो कैसे मिलेगा हिस्सा? यह जान लीजिए। इस देश में पहला चुनाव कब हुआ था? 1952 में। 1952 में पहला चुनाव हुआ तो वोट हम लोग डाले कि हमारे आजा बाबा पूर्वज- हमारे आजा बाबा वोट डाले। तो इस देश का पहला प्रधानमंत्री कौन बना? पंडित जवाहरलाल नेहरू और उत्तर प्रदेश का पहला मुख्यमंत्री कौन बना? पंडित गोविंद बल्लब पंत और गृहमंत्री बन गये पंडित राजगोपालाचारी यानि कि सभी ब्राह्मण। करताल बजाकर भीक्षाटन करने वाले पंडित जी कितने नम्बर पर पहुंच गये? एक नम्बर पर। कहा जाता है कि- “जिस समाज का राजा होता है, वह समाज ताजा होता है। जिसका दल होता है, उसी का बल होता है। जिस समाज का राजा नहीं, वह समाज ताजा नहीं। जिसका दल नहीं, उसका बल नहीं और उसके समस्याओं का कोई हल नहीं।”
तो एक नम्बर पर कौन हो गये? पंडित जी यानि कि—
1-ब्राह्मण 2- क्षत्रिय 3- मुसलमान। क्योंकि उस समय उर्दू में सरकारी रेकार्ड था सब कुछ उर्दू में लिखा हुआ था। उर्दू मुसलमान पढ़ते थे। नौकरी मुसलमान करते थे। तो पैसा किसके पास जाता था- मुसलमान के पास। 4- लाला- क्योंकि लाला भी उस समय उर्दू जानते थे। 5- कुर्मी 6- बनिया 7- निषाद, केवट,मल्लाह, बिंद, भर, राजभर, धीवर, कश्यप, तुरैहा, रैकवार, बाथम, कहार। हमारे बगल में यादव जी थे, मोटी लाठी वाले। भर, राजभर, तेली, तमोली कहाँ थे- 7 नम्बर पर। हमसे नीचे एक विरादरी थी, जिसको चमार भाई कहा जाता था। इनकी स्थिति क्या थी क्या जानना चाहते हैं – हां…….
अगर कुत्ता गंदा चाटकर आता था और थाली में मुह मार देता था तो यही हमारे घर की मातायें बहनें थाली को धो मांजकर घर में रख लेतीं थीं। अगर कहीं गलती से भी चमार भाई थाली न चाटकर उंगली से छू लेता था तो यही हमारे घर की मातायें बहनें उस थाली को फेंक देतीं थीं। उल्टे उस चमार भाई को गाली भी देतीं थीं, उनकी इतनी दशा खराब थी। यानि कि कुत्ते से भी बदतर जिन्दगी थी, चमार भाई की। सबसे निचले पायदान पर था, चमार भाई। 2007 में किसके हाथ में सत्ता की चाभी थी या किसकी सरकार थी- बहन कुमारी मायावती की। चमार भाई नीचे थे कि ऊपर- नीचे थे। 2007 से 2012 तक किसकी सरकार थी-बहन जी की। तो एक नम्बर पर कौन आ गये- चमार भाई।
2012 से 2017 तक किसकी सरकार थी- मा मुलायम सिंह यादव जी की। यही दोनों भाई- बहन 30 साल से राज कर रहे थे कि नहीं- कर रहे थे। हम कहते हैं कि ये कभी हमारे बगल में थे आज ऊपर चले गए तो आप कहाँ गये अपनी भी स्थिति जानना चाहते हैं- तो जान लीजिए। 1- चमार, 2- यादव, 3- ब्राह्मण, 4- क्षत्रिय, 5- बनिया, 6- कुर्मी, 7- लाला, 8- मुसलमान,
9- निषाद- हमारे बाप ददाओं ने गलती किया तो हम लोग कहाँ आ गये- 7 नम्बर पर। हम लोग उनसे ज्यादा बुद्धिमान हैं तो दो नम्बर और ले लिया। तो तर गये कि तरे गये- तरे गये। और 9 के बाद कौन सा अंक आता है- शून्य 0 (जीरो)। हम लोग उनसे ज्यादा बुद्धिमान हैं तो स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, व्यापार, राजनीति, मान, सम्मान, स्वाभिमान, रोटी, कपड़ा और मकान में हम कहाँ पर है जीरो0।
100 दलित नेताओं के चक्कर में पड़ कर हमसे 100 गुना दलदल में रहने वाला दलित समुदाय एक दल, एक नेता, एक नारा, एक झंडा पर विश्वास किया तो सभी क्षेत्रों में हमसे सौ गुना ऊपर है। आज यादव भाई चमार भाई क्या हो रहे हैं- हीरो और हम लोग क्या हो रहे हैं? जीरो।
सबसे सौ गुना ऊपर रहने वाला निषाद राज का वंशज 100 नेता के चक्कर में पड़ कर सभी क्षेत्रों में 100 गुना नीचे हो गया।आप सभी से अनुरोध है कि निषाद पार्टी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय कुमार निषाद, जय निषाद राज का नारा, निषाद पार्टी के मैंरून रंग के झंडे पर जिस दिन हर विधानसभा में 60 से 90 हजार वोट वाला मछुआ समुदाय विश्वास कर लेगा उसी दिन हर क्षेत्रों में 100 गुना विकास करके आगे हो जाएगा। तो जीरो बनना है कि हीरो – हीरो
तो कैसे बनेंगे आप हीरो यह जान लीजिए।
तो जैसे इन लोगों ने एक नम्बर का राजनैतिक कार्य कर हीरो बने हैं। वही काम हम लोग भी कर लें तो एक नम्बर का हीरो बनेंगे कि नहीं बनेंगे- बनेंगे
तो क्या काम किया? इन लोगों ने वह जान लीजिए।अगर आज पाकिस्तान से युद्ध छिंड़ जाए तो क्या डंडा झंडा लेकर जायेंगे? नहीं। युद्ध लड़ने के लिए मिसाइल, तोप, गोला, बारूद चाहिए कि नहीं चाहिए- चाहिए। मिसाइल चलाने के लिए मिसाइल मैन और मिसाइल मैन बनाने के लिए शिक्षण प्रशिक्षण चाहिए कि नहीं चाहिए? चाहिए। उसी तरह से निषाद पार्टी में शिक्षित-प्रशिक्षित अनुशासित, निष्ठावान,सक्रिय और समर्पित कार्यकर्ताओं की फौज चाहिए की नहीं चाहिए? चाहिए। तो क्या – सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस आपके दोस्त हैं की दुश्मन- दुश्मन। छोटे दुश्मन हैं कि बड़े- बड़े दुश्मन हैं। कमजोर हैं की ताकतवर- ताकतवर। अगर दुश्मन ताकतवर है तो उससे लड़ने के लिए आपके पास उससे ताकतवर हथियार रहना चाहिए कि नही-रहना चाहिए। तो आइए हथियार को जानते हैं। 1- पार्टी 2- नेता 3- नारा 4- झंडा 5- चिन्ह
(1)पार्टी- मान्वर कांशीराम सबसे पहला हथियार लेकर आये दलितों के बीच में पार्टी- उन्होंने कहा तुम्हारे वोट से कांग्रेस की सरकार बनती है। कांग्रेसी डीएम, एसपी बनते हैं।वही सामवन्तवादी जीतकर आते हैं तो तुम्हारी बहन बेटियों के साथ इज्जत से खिलवाड़ करते हैं तुम कुछ नहीं कर पाते हो- क्योंकि तुम्हारा वोट रोड पर है, तुम्हारी वोट नेता के जेब में है, जो चाहता है वो लेकर जाता हैवो चाहे तुम्हें धमकी दे करके, चाहे तुम्हें मारकर के, चाहे पैसे से खरीद कर के ले कर चला जाता है और तुम कुछ नहीं कर पाते हो। तुम्हारा भी एक वोट बैंक होना चाहिए तो चमार भाईयों ने अपने वोट का मालिक “पार्टी”को बना दिया कि नहीं बना दिया- बना दिया। क्या आज के समय में आपको दलित बस्ती में जाकर चमार भाई का वोट लेना हो तो क्या सीधे वोट पा जायेंगे। वह तो कहता है भईया हमारे वोट का मालिक हमारी पार्टी है और पार्टी जो भी निर्णय ले, पार्टी चाहे किसी को टिकट दे, किसी से गठबंधन करे, चाहे लड़े या रणनीतिक समर्थन करे, कोई भी फैसला कर ले, हम लोग सहर्ष मानने को तैयार हैं। पार्टी अगर कह दे की गड्ढे में वोट डाल देना है तो क्या सवाल करता है कोई चमार भाई- नहीं। इसका मतलब वो अपनी पार्टी की बात शत प्रतिशत मानता है कि नहीं मानता है- मानता है। माननीय मुलायम सिंह यादव आये पार्टी लेकर यादव भाईयों के बीच आज समाजवादी पार्टी को पाँच पाँडवों के अलावा कोई और चलाता है क्या- नहीं। मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव, धर्मेन्द्र यादव इनके अलावा कोई छंटवाँ हैं क्या- नहीं। मुलायम सिंह यादव या समाजवादी पार्टी चाहे जो भी फैसला ले ले या किसी भी पार्टी से गठबंधन कर ले किसी को भी टिकट दे दे या सिर्फ अपने ही परिवार के लोगों को टिकट दे दें तो क्या कोई यादव विरोध करता है क्या- नहीं। एक एक परिवार में 27-27 लालबत्ती समाजवादी पार्टी ने दिया मुलायम सिंह यादव के परिवार को तो क्या गांव का यादव विरोध किया क्या- नहीं। इसका मतलब कि वह अपनी पार्टी पर थोड़ा विश्वास करता है कि पूरा- पूरा। आज किसी यादव को कोई आँख उठाकर देख सकता है क्या- नहीं। क्योंकि इसके समाज का ओट अनकी पार्टी में है न की उनके नेता के पाकेट में। हम कहते हैं कि सब कुछ ताकत अब हमारे पास भी होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए- होना चाहिए। जब तक हमारा वोट हमारी पाकेट में रहेगा-
फूलन देवी निषाद, जमुना प्रसाद निषाद, धनीराम वर्मा, रघुवर दयाल वर्मा, मनोहर लाल निषाद ऐसे तमाम दर्जनों नेता हमारे समाज में थे क्यों मारे गए क्योंकि हमारा वोट हमारे नेता के जेब में था। तो समाज का वोट ज्यों उनके जेब में था तो मार दिया दुश्मन उनको तो क्या आपका भी वोट बैंक हो जाये तो क्या आपके नेता मारे जायेंगे की सुरक्षित हो जायेंगे – सुरक्षित हो जायेंगे। तो हम लोगों की भी पार्टी होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए – होनी चाहिए। तो हमारी भी पार्टी आ गई है- “निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल” (निषाद पार्टी) आज निषाद पार्टी सपा, बसपा से कमजोर पार्टी है कि ताकतवर – ताकतवर। कैसे ताकतवर है क्योंकि आपके पार्टी के आ जाने के वजह से सपा – बसपा जैसी पार्टी आज खत्म हो गई की नहीं – खत्म हो गई। आपके वजह से पूरे उत्तर – प्रदेश में 2018 सपा – बसपा के साथ चुनाव लड़ा तो भाजपा समाप्त हुई थी कि नहीं – हुई थी। 2019 में भाजपा के साथ चुनाव लड़ा गया तो सपा – बसपा समाप्त हुई थी कि नहीं – हुई थी। इसका मतलब आप जिधर चले गए तो वह मजबूत। आप जिधर नहीं गए तो वह कमजोर। इसका मतलब इनसे हम मजबूत हैं कि नहीं हैं – हैं। पहलवान मजबूत रहता है तभी तो सामने वाले को पटक पाता है। तो आपकी पार्टी मजबूत है कि नहीं है – है। तो आपकी पार्टी मजबूत है तो घर में छुपकर बैठना है कि दुनिया के सामने प्रदर्शित करना है- प्रदर्शित करना है। तो पार्टी की जय जयकार होनी चाहिए कि नहीं- होनी चाहिए- निषाद पार्टी जिन्दाबाद जिन्दाबाद
(2)नेता- आज चमार भाईयों का नेता कौन है – बहन कुमारी मायावती। क्या वह अपने नेता का नाम लेता है कि कुमारी बहन जी कहता है – कुमारी बहन जी कहता है। इसका मतलब दुनिया के लोग आरोप लगाएं कि मायावती कुमारी नहीं हैं वो तो ये हैं ओ हैं उसकी लड़की पढ़ती है अमेरिका में क्या कभी चमार भाई मानें – नहीं। हजारों हजार करोड़ की मूर्ति लगवा डाली क्या किसी चमार भाई से पूंछा उसने – नहीं। किसी चमार भाई ने कहा कि उसने गलत किया है। इसका मतलब उसने अपने नेता को नेता मान लिया दुनिया चाहे कुछ भी कहे वो अपने नेता पर भगवान् से भी ज्यादा मोहब्बत करता है। इसलिए बहन जी कहता है। उसने सावित कर दिया कि आज मैं बहन जी कह रहा हूं। कल तुम सब लोग कुमारी बहन जी कहोगे तो बहन जी बोलवाया की नहीं बोलवाया – बोलवाया। उसने अपने नेता पर विश्वास किया तो दूसरे लोग उसके नेता पर विश्वास किये की नहीं किये – किये। आज यादव समाज के लोग माननीय मुलायम सिंह यादव को अपना नेता मानते हैं कि नहीं मानते हैं – मानते हैं। मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे को मुख्यमंत्री बना दिया तो गाँव का कोई यादव विरोध किया – नहीं। मुख्यमंत्री छोटी बात होती है कि बड़ी बात – बड़ी बात। क्या गाँव के यादवों ने कभी विरोध किया? नहीं इसका मतलब कि वह अपने नेता को भगवान् की तरह मानता है कि नहीं – मानता है। उनकी हर बात का सम्मान करता है कि नहीं करता है। तो आज उनका समाज ताकत में है कि नही है- ताकत में है। हमारे पास भी ऐसा कोई ताकतवर नेता होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए – होना चाहिए। जो हमारे लिए लड़ सके हमारी तमाम जातियाँ जो उपजातियों में बंटी है उनको एक मंच पर इकट्ठा कर सके ऐसा क्या? डॉ संजय कुमार निषाद जी के अलावा कोई दूसरा नेता आपको दिखाई पड़ा – नहीं। जो समाज के लिए जेल की हवा खाया जो समाज के लिए दर-दर भटके। जो समाज के लिए अपना सुख – चैन त्यागकर दिन रात 24 घंटे केवल समाज के लिए ही चलते रहे हों। क्या माननीय डाक्टर संजय कुमार निषाद के अलावा कोई ऐसा है? नहीं। अगर नहीं है तो इनकी जय जयकार होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए।
माननीय डाक्टर संजय कुमार निषाद जिंदाबाद जिंदाबाद ।।
(3)नारा- जय भीम का नारा देकर के जितने उतरहा, दखिनहा, कुरिल, धुसिया, जाटव सभी एक सुर में आये की नहीं आये-आये। क्या अब कुरिल धुसिहा का नारा अलग-अलग है? कि एक है-एक है। नारा देकर सब एक हो गये की नहीं – एक हो गये। उदहारण – एक स्टेशन पर एक चमार ने अपने छोटे भाई के इंतजार में खड़ा हुआ था जैसे ही उसका भाई स्टेशन पर आता है तो बड़े भाई ने कहा – जय भीम छोटा भाई भी बोला भैया जय भीम। तभी आस-पास में खड़े उनके विरादरी के लोग भैया आप जय भीम वाले हैं – हां भैया हम जय भीम वाले हैं । तो नारा देने से पहचान हुई की नहीं हुई-हुई। नारा देने से जितने नाना प्रकार की जातियों में बंटे थे वो सब एक हुए की नहीं हुए-हुए। जय समाजवाद का नारा देने से जितने यादव ग्वाल, ढढ़ोर, अहिरवार, गहिरवार बंटे थे तो एक हुए की नहीं हुए – एक हो गये।.हम कहते हैं कि- – “जय निषाद राज” का नारा देने से जितने – केवट, मल्लाह, बिंद, निषाद, कश्यप, कहार, रैकवार, बाथम, सोरहिया, खुलवट, बड़ई, लोहार, भर, राजभर, धीवर. तेली, तमोली आदि जितनी 578 जातियों में हमारा समाज बंटा है वह सब एक हो जायेगा की नहीं- एक हो जायेगा। तो “जय निषाद राज” का नारा अच्छा है कि नहीं है – अच्छा है। अच्छा है कि बहुत अच्छा है – बहुत अच्छा है
तो हमारा नारा कैसा होना चाहिए।जोरदार आवाज में बोलिए – जय निषाद राज…….
(4) झण्डा- रोड के किनारे 100 चमार भाई बैठ कर मीटिंग कर रहे हैं- नीला वाला झंडा लगाकर 400 निषाद चले गए तो कितना हो गए 500 अब देखने वाला क्या मानेगा 500 कौन बैठे हैं – चमार भाई । किसके वजह से -झण्डे की वजह से। झंडा से हमारी पहचान कहाँ हो गई – चमार भाई में। अधिकारी आया ज्ञापन लिया जो भी हक अधिकार मान-सम्मान नौकरी आया सब कहाँ चला गया – चमरौटी में। बाकी हमारे लोग कहाँ चले गए भईया। मुलायम सिंह यादव ने कहा – कि जल्दी से लाओ झंडा, अभी लाल व हरे रंग का झंडा ला दिया और झंडा टांग दिया, तो हमारी गिनती कहाँ हो गई – अहिरौटी में। तो मुख्यमंत्री किसका बना हमारा की उनका–उनका तो जितने आईएएस पीसीएस दरोगा बने तो हमारे लोग बने की उनके लोग- उनके लोग। जिनका झंडा बुलंद हुआ तो मान – सम्मान किसका बुलंद हुआ हमारा की उनका – उनका। तो हमारे पास भी झंडा अब आ गया कि नहीं आ गया – आ गया।
कौन कलर का “मैरून” । सबसे बड़ी खासियत है इस झंडे की, कि ये एक पहचान देती है । क्या पहचान देती है – जैसे किसी व्यक्ति का यहीं गला काट दिया जाए तो खून जमीन पर गिरेगा तो किस कलर का हो जायेगा – मैरून । इससे ये साफ जाहिर होता है कि बहुत सोच समझकर के इस पार्टी के मुखिया ने यह झंडा अपनाया है अपने इतिहास को बरकरार रखने के लिए। इसका मतलब हमारे पुरखों ने अपने खून से धरती को सींचा है तभी यह क्रांतिकारी झंडा हमारे घर पर होगा कि नहीं होगा – होगा। तो झंडे से हमारी पहचान कमजोर से होगी कि ताकतवर में- ताकतवर में। तो आपकी पहचान कहाँ हो गई- योद्धा में- तो झंडे से लड़ाई लड़नी होगी कि नहीं – लड़नी होगी
(5) चिन्ह- चमार भाईयों का क्या चुनाव चिन्ह है – हाथी
अब क्या हाथी छोड़कर दूसरे पर वोट दे रहे हैं क्या – नहीं
आज चमार भाई हाथी छोड़कर दूसरे का नाम लेते हैं क्या – नहीं
आज यादव जी साईकिल छोड़कर दूसरे का नाम ले रहे हैं क्या – नहीं और हम- केवट, मल्लाह, बिंद, निषाद, कश्यप, कहार, रैकवार, बाथम, सोरहिया, खुलवट, बड़ई, लोहार, भर, राजभर, धीवर. तेली, तमोली आदि जितने भी 578 जातियों में बंटा हमारा समाज है उन सब का चिन्ह क्या है – भोजन भरी थाली
यह चिन्ह अच्छा है कि नहीं है – अच्छा है। अच्छा है कि सबसे अच्छा है। अगर आपको डाक्टर संजय कुमार निषाद जी दुश्मनों के हथियार से कई गुना ताकतवर हथियार दे दिए हैं तो इसको चलाने के लिए तैयार हैं कि नहीं हैं- तैयार हैं। इसको चला कर अपना हक-अधिकार, मान-सम्मान, स्वाभिमान, खोया हुआ राज पाठ वापस लेना है कि नहीं लेना है – लेना है।
मित्रों उपरोक्त सामाजिक, राजनैतिक व वोटर कैडर की प्ररेणा अपने बंशज महाराजा गुह्यराज निषाद के किला श्रृंग्वेरपुर इलाहाबाद के जीर्ण-शीर्ण स्थिति में देखकर मिली।जब पहली बार १३ जनवरी २०१३ को अपने २३ साथियों के साथ श्रृंग्वेरपुर पहूंचकर जब किले को जीर्ण-शीर्ण हालत में देखा तो हम सभी साथियों का कलेजा फट गया आंखों में आंसू भर आया।उसी किले पर हम सभी लोगों ने यह कसम खाकर संकल्प लिया कि आज के बाद हम सभी लोग पूरे प्रदेश,देश,विदेश में सबसे पहले अपने समाज को जागरूक कर उन्हें उनका हक, मान-सम्मान-स्वाभिमान, रोटी कपड़ा और मकान, सामाजिक एवं राजनीतिक हक दिलाने का काम करेंगे।उसी संकल्पित दिन के उपलक्ष्य में आप भी अपने साथियों,नात, रिस्तेदारों के साथ आगामी १३जनवरी २०२० को श्रृंग्वेरपुर इलाहाबाद पहूंचकर महाराजा गुहृराज निषाद जी के किले को देखकर आप भी गौरवान्वित होकर सामाजिक एवं राजनीतिक हक प्राप्त करने व समाज को दिलाने जैसे पुण्य कार्य में भागीदार बनने का काम करें।

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